मध्यकालीन भारतीय इतिहास का स्त्रोत | मध्यकालीन भारत का इतिहास

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(1) तारीख - उल - हिन्दः- यह किताब किताब - उल - हिन्द के नाम से प्रसिद्ध है। इसकी रचना अलबरूनी द्वारा की गई है। इस पुस्तक को 11वीं सदी का दर्पण कहा जाता है।
(2) ताज-उल-मासिरः- इसकी रचना हसन निजामी द्वारा की गई है । यह अरबी एवं फारसी दोनों भाषाओं में लिखीं गई है (1192-1228)
(3) तारीख ए - फिरोजशाही:- इसके रचनाकार जियाउद्दीन बरनी है। (बलवन - फिरोजशाह तुगलक)
(4) फुतूहात - ए - फिरोजशाही:- फिरोजशाह तुगलक (शासन प्रबंधन)
(5) जैनुल अखबारः- अबी सईद ।
इसमें ईरान के इतिहास का विवरण है । (महमूद गजनबी)
(6) तबकात - ए - नासिरी:- मिन्हाज-उस-सिराज ( 1192 - 1260)
(7) तारीख - ए - मसूदी:- अल बैहाकी (महमूद गजनबी)
(8) किताब- उल - रेहलाः- इब्नबतूता (अरबी भाषा)
(9) किताब-उल- यामिनीः- उत्बी (सुबुक्तगीन और महमूद गजनबी)
(10) खजायन - उल - फुतूहः- अमीर खुसरो
(11) फतवा - ए - जहाँदारी:- जियाउद्दीन बरनी (शरीयत के अनुसार मुस्लिम शासकों के लिए आदर्श राजनीतिक संहिता का वर्णन किया।)
(12) तारीख - ए -सलातीन - ए - अफगान या तारीख - ए - शाही:- अहमद यादगार (लोदी वंश)
(13) तुजुक - ए - बाबरी / बाबरनामा:- यह बाबर की आत्मकथा । बाबर ने इस कृति की रचना तुर्की भाषा में की थी । इस पुस्तक में बाबर ने 5 मुस्लिम राज्यों - दिल्ली, बहमनी, बंगाल, गुजरात व मालवा तथा हिन्दु राज्यों - विजयनगर व मेवाड़ का उल्लेख किया है।
(14) हुमायूँनामा:- इस पुस्तक की रचना हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने फारसी भाषा में अकबर के कहने पर की थी ।
(15) तारीख - ए - शेरशाही:- इसके लेखक अब्बास खाँ शेरवानी था। इससे शेरशाह के शासनकाल की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिति की जानकारी मिलती है ।
(16) तारीख - ए - रशीदी:- इस पुस्तक की रचना मिर्जा हैदर दुगलात ने की थी । इस पुस्तक में 1540 ई. के कन्नौज के युद्ध का सजीव वर्णन है ।
(17) तारीख-ए-फरिश्ता:- इसकी रचना मुहम्मद कासीम फरिश्ता द्वारा की गई है।
(18) तबकात-ए-अकबरी:- इसकी रचना ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद द्वारा की गई है।
(19) अकबरनामा: - इसकी रचना अबुल फजल द्वारा की गई है। अकबर के शासनकाल में जानने हेतू यह सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक रचना है ।
इसके प्रथम भाग में बाबर व हुमायूँ के शासनकाल का वर्णन है, दूसरे भाग अकबर के शासनकाल के प्रथम 46 वर्षो का वर्णन है, जबकि तीसरे भाग को आइन-ए-अकबरी कहा जाता है ।
(20) तुजुक - ए - जहाँगीरी:- यह जहाँगीर की आत्मकथा है। इस रचना को पूर्ण करने में मौतबिंद खाँ और बक्सी को जाता है।
(21) पादशाहनामा:- काजविनी
(22) शाहजहाँनामाः- इनायत खाँ
(23) बादशाहनामा:- अब्दुल हामिद लाहौरी
(24) मुतखाब - उल --लुबाब :- खफी खाँ
(25) आलमगीरनामा:- मिर्जा मुहम्मद काजिम
(26) मासिर - ए - आलमगीरीः- साकी मुस्तैद खाँ
(27) फूतूहात - ए - आलमगीरी:- ईश्वरदास नागर
(28) नुस्खा - ए - दिलकुशाः- भीमसेन
(29) तुगलकनामा:- अमीर खुसरों
(30 ) नूहसिपहर:- अमीर खुसरों
विदेशी यात्रियों का विवरण
(1) अलबरूनी:- अलबरूनी ख्वारिज्म से महमूद गजनबी के साथ भारत आया था। इनका मूल नाम "अबू रैहान" था ।
(2) इब्नबतूताः- यह अफ्रीका के मोरक्को का रहनेवाला था जो मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल के दौरान 1333 ई. में भारत आया था।
मार्कोपोलो:- यह इटली के वेनिस का रहने वाला था । इन्होनें 13वीं शताब्दी ई. के दौरान दक्षिण भारत की यात्रा किया। इन्हें मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
(4) निकोलोकोण्टी:- यह इटली का रहने वाला था, जो 1420-21 के दौरान विजयनगर साम्राज्य की यात्रा पर आया था । इस समय वहाँ के शासक देवराय प्रथम थें। इन्होनें ट्रैवल्स ऑफ निकोलोकाण्टी नामक ग्रंथ की रचना की है।
(5) अब्दुर्रज्जाक:- यह फारस का रहने वाला था जो 1442-43 ई. में देवराय द्वितीय के शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य की यात्रा किया।
(6) डोमिंगो पायस और बारबोसा:- ये दोनों पुर्तगाल के रहने वालें थें जिन्होनें कृष्णदेवराय के शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य की यात्रा किया।
(7) फर्नाडिस नूनिजः- यह पुर्तगाली यात्री, इतिहासकार और घोड़े का व्यापारी था। इन्होनें अच्युतदेवराय के शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य की यात्रा किया |
(8) निकितिन (1470-1474):- यह रूसी घोड़ों का व्यापारी था। इसने मुहम्मद तृतीय के शासनकाल में बहमनी राज्य की यात्रा की ।
(9) बार्थेमा ( 1502-08):- पुर्तगाली यात्री था जो विजयनगर की यात्रा पर आया था।
(10) सीजर फ्रेडरिक (1567–1568):- पुर्तगाली यात्री सीतर फ्रेडरिक ने तालीकोटा के युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य का भ्रमण किया ।
(11) राल्फ फिच (1583-1591 ) :- यह फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुँचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था। यह मुगल शासक अकबर के शासनकाल में भारत आया था।
(12) विलियम हॉकिन्स (1608-1611):- यह जहाँगीर के रबार में ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर आया ।
(13) सर टॉमस रो (1615-1618):- जहाँगीर के दरबार में आने वाले दूसरे शिष्टमंडल के नायक सर टॉमस रो अपने गुरू टैरी के साथ यहाँ लगभग तीन वर्ष तक रहा। माण्डू और अहमदाबाद की यात्रा के दौरान जहाँ के साथ रहा । "पूर्वी द्वीपों की यात्रा" नामक विवरण में इसने मुगल दरबार के षड्यंत्र एवं धोखाधड़ी का वास्तविक विवरण प्रस्तुत किया था । इसने मुगल सम्राट जहाँगीर से भारत में अंग्रेजी फैक्ट्री स्थापित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त किया ।
(14) पियेत्रो देला वाले:- यह इतावली यात्री 1622 ई. में जहाँगीर के काल में सूरत पहुँचा । इन्होनें भारतीय धार्मिक सहिष्णुता और सत्ती प्रथा का विवेचना की ।
(15) फादर - एन्थाना मोंसेरातः- पुर्तगाली फादर मोंसेरात फादर एक्वाविका के साथ 1580 ई. में मुगल सम्राट अकबर के दरबार में आया था। फादर मोंसेरात को शाहजादा मुराद का शिक्षक नियुक्त किया गया था ।
(16) विलियम फिंच:- यह हॉकिन्स के साथ 1608 ई. में जहाँगीर के शासनकाल में सूरत आया। केवल विलियम फिंच ही ऐसा यात्री हैं, जिसने अनारकली की दंतकथा का उल्लेख किया है।
(17) पीटर मुण्डी (1630-1634 ) :- यह इटली यात्री शाहजहाँ के शासनकाल में भारत आया था। इसने शाहजहाँ के काल में पड़े अकाल का वर्णन किया है ।
(18) फ्रांसिस्को पेलसार्ट:- यह डच यात्री था, जो जहाँगीर के काल में भारत आया था ।
(19) बौप्टिस्ट ट्रैवर्नियर ( 1638-1663 ) :- यह फ्रांसीसी यात्री था, जिन्होनें 6 बार भारत की यात्री की । यह पेशे से जौहरी था । (हीरे का व्यापारी)
(20) निकोलाओ मनूची (1653-1708) :- यह इटली का था। इसने भारत आकर शाहजादा द्वारा शिकोह की सेना में तोपची के रूप में नौकरी की। दाराशिकोह की मृत्यु के बाद इसने चिकित्सक का पेशा अपना लिया । "स्टोरियो दो मोगोर" नामक संस्मरण लिखा। इसे 17वीं सदी का दर्पण कहा जाता है।
(21) फ्रांसिस वर्नियर ( 1656 - 1717 ) :- यह फ्रांसीसी यात्री पेशे से चिकित्सक था। इसने मुगल साम्राज्य का विशद इतिहास " Travel in the Mughal Empire" नाम से किया है।
पुरातात्विक साक्ष्य
मुगलकालीन इमारतें एक नजर में
शाहजहाँ कालीन आगरे की इमारते
शाहजहाँ कालीन दिल्ली की इमारते
★ आगरे की मोती मस्जिद शाहजहाँ ने बनवाया था जबकि दिल्ली में लाल किले के अंदर मोती मस्जिद ( पुर्णतः संगमरमर) औरंगजेब ने बनवाया था ।