भक्ति एवं सूफी आंदोलन | मध्यकालीन भारत का इतिहास

General Competition | History | (मध्यकालीन भारत का इतिहास) | भक्ति एवं सूफी आंदोलन
सूफी आंदोलन
- इस्लाम धर्म में एक सुधारवादी तथा रहस्यवादी आंदोलन चला जिसे सूफी आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
- सूफी के आदेशों को सिलसिला के नाम से जाना जाता है।
- सुफी शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के सफा शब्द से हुई है, जिसका अर्थ पवित्रता होता है ।
- सुफी आंदोलन की शुरूआत फारस (पर्शिया) यानि ईरान से माना जाता है।
- जो लोग सूफी संतों से शिष्यता ग्रहण करते थें उन्हें मुरीद कहा जाता था।
- सूफी जिन आश्रम में रहते थें उसे खानकाह या मठ से जाना जाता था ।
- सूफी संतों पीर - मुरीद (गुरू-शिष्य) परंपरा को बढ़ावा दिया ।
- सूफी संत दो भागों में बँटकर अपने विचारों का प्रसार किया-
- बा-शारा - इस्लामी सिद्धांत के समर्थक
- बे-शारा - इस्लामी सिद्धांत से परे अपने सिद्धांतों के अनुकूल कार्य करते थें
- आइने अकबरी के लेखक अबुल फजल कुल 14 सूफी सिलसिला की चर्चा करता है, जिसमें 5 सिलसिला को भारत में प्रमुखता प्राप्त हुई ।
(1) चिश्ती संप्रदाय :- यह सबसे उदारवादी संप्रदाय है ।
♦ भारत में - मोइनुद्दीन चिश्ती
प्रमुख संत:-
बख्तियार काकी, निजामुद्दीन ओलिया, अमीर खुसरो, शेख सलीम चिश्ती
- यह सभा अर्थात संगीत के माध्यम से अपने विचारों का प्रसार करता था ।
- बाबा फरीद की रचनाएँ गुरू ग्रंथ साहिब में शामिल है ।
- दक्षिण भारत के चिश्ती - शेख बुरहानुद्दीन गरीब
(2) सुहरावर्दी:-
♦ संस्थापक:- शेख शिहाबुद्दीन उमर सुहारवर्दी
♦ सुदृढ़ संचालक:- बदरूद्दीन जकारिया
♦ मुख्य केंद्र:- सिंध और सुल्तान
♦ फिरदौसी:- बिहार और बंगाल
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♦ याहिया मनेरी:- मनेर
(3) सतारी: - शेख अब्दुल्ला सतारी
♦ मुख्य केंद्र:- बिहार
(4) कादिरी:- सैय्यद अब्दुल कादिर अल जिलानी
♦ भारत में:- मुहम्मद गौस (शिष्य तानसेन)
- गने-बजाने के विरोधी थें ।
- राजकुमार दारा इसी संप्रदाय को मानता था ।
(5) नक्शबंदीः- ख्वाजा उबेदुल्ला
♦ भारत:- ख्वाजा बकी बिल्लाह शेख अहमद सरहिन्दी
- औरंगजेब इसी संप्रदाय को मानता था।
भक्ति आंदोलन
- हिंदु धर्म में जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति बताया गया है।
- मोक्ष का अर्थ जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त होना होता है ।
- हिंदु धर्म में मोक्ष पाने के लिए तीन मार्गो की चर्चा की गयी है ।
- कर्म मार्ग:- इसका विवरण वेदों में मिलता है।
- ज्ञान मार्ग:- उपनिषद
- भक्ति मार्ग:- भागवत् संप्रदाय या वैष्णव संप्रदाय
- मोक्ष प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग भक्ति मार्ग है।
- भक्ति आंदोलन की शुरूआत 6ठी शताब्दी ई. से तमिल क्षेत्र से हुई है जो कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में फैल गयी ! यानी भारत में भक्ति आंदोलन की शुरूआत दक्षिण भारत से माना जाता है ।
- दक्षिण भारत में 12 वैष्णव संत अलवार तथा 63 शैव संत नयनार ने अपने विचारों के माध्यम से भक्ति भावना को आंदोलन का रूप दिया ।
- भाक्ति आंदोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाने का श्रेय रामानंद को दिया जाता है ।
- रामानंद की शिक्षा से दो संप्रदायों की शुरूआत हुआ ।
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतः
(1) रामानुजाचार्यः- राम | श्री संप्रदाय की स्थापना ।
♦ जन्म - 1017 - मद्रास के निकट पेरूम्बर में
- भक्ति आंदोलन के प्रारंभिक प्रतिपादक रामानुजाचार्य
(2) रामानंदः- जन्म - 1299 - प्रयाग
- राम और सीता के अराधना को समाज के समक्ष रखना ।
- 12 शिष्य में 2 स्त्री - (1) पद्मावती और (2) सुरसी
प्रमुख शिष्यः
(3) कबीर दास:- कबीर का जन्म 1440 में वाराणसी में एक विधवा ब्राह्मण के गर्भ से हुआ ।
♦ लोक लज्जा- वाराणसी के लहरतारा
♦ पालक माता-पिता- नीरू और नीमा
♦ पत्नी- लोई
♦ एकेश्वरवाद
♦ उपदेश - सबद
♦ वीणा का संग्रह - बीजक (रमैनी, सबद, साखी)
♦ सिकंदर लोदी के समकालीन थें ।
♦ 1510 - मगहर
(4) चैतन्य प्रभुः- 1486 नवद्वीप (बंगाल) - जन्म
♦ पिता- जगन्नाथ मिश्र
♦ माता- शची देवी
♦ वास्तविक नाम विश्वम्बर
- गोसाई संघ की स्थापना
- संकीर्तन के माध्यम से अपनी धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
- कृष्ण का अवतार
- दार्शनिक सिद्धांत - अचिंत्य भेदाभेदवाद