विशेषण और क्रियाविशेषण | क्रियाविशेषण किसे कहते हैं | विशेषण किसे कहते हैं

विशेषण और क्रियाविशेषण | क्रियाविशेषण किसे कहते हैं | विशेषण किसे कहते हैं


विशेषण और क्रियाविशेषण

विशेषण

विशेष्य (संज्ञा) की संख्या, अवस्था, गुण इत्यादि विशेषता बतानेवाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। संस्कृत में विशेष्य के जो लिंग, विभक्ति और वचन होते हैं, विशेषण के भी वे ही लिंग, विभक्ति और वचन होते हैं। जैसे -
1. यह सुन्दर लड़का है — अयं सुन्दरः बालकः अस्ति।
2. यह सुशील लड़की है — इयं सुशीला बालिका अस्ति । 
3. यह सुन्दर फूल है— इदं सुन्दरं पुष्पम् अस्ति।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रत्येक विशेष्य में दो-दो विशेषण हैं। प्रथम वाक्य में विशेष्य ‘बालक’ (लड़का) पुँल्लिंग, एकवचन है, इसलिए उसके विशेषण ‘अयं’ (इदम्– पुँ० – यह) और 'सुन्दर : ' भी पुँल्लिंग, एकवचन में प्रयुक्त हुए। 
दूसरे वाक्य में विशेष्य 'बालिका' (लड़की) स्त्रीलिंग, एकवचन है, इसलिए उसके विशेषण ‘इयं’ (इदम् – स्त्री० – यह) और 'सुशीला' भी स्त्रीलिंग, एकवचन 
में प्रयुक्त हुए। 
तीसरे वाक्य में विशेष्य 'पुष्पं' (फूल) नपुंसकलिंग, एकवचन है, इसलिए उसके विशेषण ‘इदं’ (इदम्– नपुं० – यह) और 'सुन्दरं' भी नपुं०, एकवचन में प्रयुक्त हुए। 
> पुँल्लिंग विशेष्य-विशेषण तीनों वचनों में - 
एकवचन – सुन्दर लड़का – सुन्दरः बालकः 
द्विवचन – दो सुन्दर लड़के – सुन्दरौ बालकौ 
बहुवचन – (कई) सुन्दर लड़के – सुन्दराः बालकाः 
> स्त्रीलिंग विशेष्य-विशेषण तीनों वचनों में—
एकवचन – सुशील लड़की – सुशीला बालिका 
द्विवचन – दो सुशील लड़कियाँ - सुशीले बालिके - 
बहुवचन – कई सुशील लड़कियाँ – सुशीलाः बालिकाः 
> नपुंसकलिंग विशेष्य-विशेषण तीनों वचनों में
एकवचन – सुन्दर फल – सुन्दरं फलम् 
द्विवचन - दो सुन्दर फल – सुन्दरे फले 
बहुवचन – (कई) सुन्दर फल – सुन्दराणि फलानि
> 'एक' संख्यावाचक विशेषण तीनों लिंगों में—
पुँल्लिंग - एक लड़का – एकः बालकः 
स्त्रीलिंग — एक लड़की – एका बालिका - 
नपुंसकलिंग – एक फूल – एकं पुष्पम् 
> तद्' (वह) सार्वनामिक विशेषण तीनों लिंगों में—
'पुँल्लिंग - वह पुरुष – सः पुरुषः 
स्त्रीलिंग — वह नारी – सा नारी
नपुंसकलिंग — वह फूल -  तत् पुष्पम्
> नीचे विभिन्न विशेषणों से युक्त विशेष्य दिए जा रहे हैं।
होशियार लड़का – बुद्धिमान् बालकः 
होशियार लड़की – बुद्धिमती बालिका 
विद्वान् पुरुष–विद्वान् पुरुषः 
विद्वान् स्त्री – विदुषी स्त्री 
वे लड़के— ते बालकाः 
वे लड़कियाँ—ताः बालिकाः 
वे पत्ते— तानि पत्राणि
इस विद्यालय का -  अस्य विद्यालयस्य
इस पाठशाला का - अस्याः पाठशालायाः 
इस घर में— अस्मिन् गृहे
इस सभा में — अस्यां सभायाम्
गहरे कुएँ में— गम्भीरे कूपे
उस छात्र का - तस्य छात्रस्य 
उन छात्रों का – तेषाम् छात्राणाम् 
कोई पुरुष – कश्चित् पुरुषः 
कोई नारी – काचित् नारी 
कोई फूल – किञ्चित् पुष्पम् 
काला बकरा —कृष्णः छागः 
काली गाय – कृष्णा गौः 
काला फूल कृष्णम् पुष्पम् 
पका फल- पक्वम् फलम्

अनुवाद

यह सुन्दर फूल है— इदं सुन्दरं पुष्पम् अस्ति। 
दो बुद्धिमान बालक हैं – बुद्धिमन्तौ बालकौ स्तः । 
सुशील लड़कियाँ जाती हैं – सुशीला बालिकाः गच्छन्ति । 
- उजली बकरी चरती है – श्वेता अजा चरति । 
वे फल कहाँ हैं? — तानि फलानि कुत्र सन्ति ? 
इस विद्यालय में बहुत छात्र हैं — अस्मिन् विद्यालये बहवः छात्राः सन्ति। 
उस कुएँ का जल मीठा है — तस्य कूपस्य जलं मधुरम् अस्ति । 
इस तालाब में फूल हैं— अस्मिन् तडागे पुष्पाणि सन्ति। 
उस वन में सिंह है— तस्मिन् वने सिंहः अस्ति। 
उस कुएँ से जल लाता है— तस्मात् कूपात् जलम् आनयति। 
क्या वह स्त्री जाती है? – किं सा नारी गच्छति ? 
अवध इस विद्यालय का छात्र है- -अवधः अस्य विद्यालयस्य छात्रः अस्ति।

क्रियाविशेषण

जिस विशेषण से क्रिया के गुण या अवस्था का बोध हो, उसे क्रियाविशेषण कहते हैं। क्रियाविशेषण में द्वितीया विभक्ति होती है तथा वह एकवचनान्त नपुंसकलिंग होता है। यथा - 
स मधुरं वदति – वह मीठा बोलता है | 
कच्छपः मन्दं-मन्दं चलति – कछुआ धीरे-धीरे चलता है। 
छात्रः द्रुतं पठति- - छात्र तेजी से पढ़ता है। 
साधु कथयति–साधु कहता है। 
कालः शीघ्रं गच्छति - समय जल्दी चला जाता है। 
अव्ययीभाव और बहुव्रीहि समास से निष्पन्न कतिपय विशेषणों का प्रयोग क्रियाविशेषण के समान होता है। यथा—
सविनयं निवेदयति—विनयपूर्वक निवेदन करता है।
निर्भयं गच्छति — निडर होकर जाता है l
सहासं वदति - हँसते हुए बोलता है। 
यथाशक्ति धनं ददाति — शक्तिभर धन देता है। 
नीचे कुछ विभिन्न क्रियाविशेषण-पद दिए जा रहे हैं। 
सुखेन वसति- आराम से रहता है। 
वेगेन धावति — तेजी से दौड़ता है। 
समूलं अपतत् – जड़ से गिर पड़ा। 
स बद्धाञ्जलिः अवदत् — वह हाथ जोड़कर बोला । 
श्यामः हसन् गच्छति - श्याम हँसते हुए जाता है । 
कपोताः एकचित्तीभूय उत्पतिताः – कबूतर एकमत होकर उड़ गए। 
प्रातः भ्रमेत् — सुबह में टहलना चाहिए। 
मृषा न वदेत् – झूठ नहीं बोलना चाहिए | 
स नूनं आगमिष्यति — वह जरूर आएगा। 
सुरेशः गृहं गत्वा पठति – सुरेश घर जाकर पढ़ता है।
नक्तम् ओदनं न खादेत् — रात में भात नहीं खाना चाहिए । 
स पठितुं शक्नोति – वह पढ़ सकता है। 
नदीम् उभयतः वृक्षाः सन्ति — नदी के दोनों ओर पेड़ हैं। 
अचिरं फलं दास्यति — शीघ्र फल देगा। 
दिनेशः श्वः पठिष्यति – दिनेश कल पढ़ेगा। 
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