तुर्कों का आक्रमण | मध्यकालीन भारत का इतिहास

तुर्कों का आक्रमण | मध्यकालीन भारत का इतिहास


General Competition | History | (मध्यकालीन भारत का इतिहास) | तुर्कों का आक्रमण

  • भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना का श्रेय तुर्कों को दिया जाता है ।
  • तुर्क, चीन की उत्तरी पश्चिमी सीमाओं पर निवास करनेवाली एक लड़ाकू एवं बर्बर जाति थी ।
  • तुर्क उमैय्यावंशी शासकों के संपर्क में आने के बाद इस्लाम धर्म के संपर्क में आए। कलांतर में उन्होनें इस्लाम धर्म स्वीकार लिया।
  • अल्पतगीन अफगान प्रदेश में गजनवी साम्राज्य की स्थापना किया। अल्पतगीन के बाद इस्हाक उसके बाद बलक्तगीन गद्दी पर बैठा ।
  • बलक्तगीन की मृत्यु के बाद पीराई ने गजनी पर अधिकार कर लिया पर वह एक अयोग्य शासक था, जिसे हटाकर सुबुक्तगीन गद्दी पर बैठा ।
सुबुक्तगीनः-
सुबुक्तगीन आरंभ में अलप्तगीन का गुलाम था । कलांतर में अलप्तगीन ने सुबुक्तगीन को अपना दमाद बना लिया और "अमीर-उल-उमरा" की उपाधि से सम्मानित किया ।
  • भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम तुर्क शासक सुबुक्तगीन ही था ।
  • सुबुक्तगीन ही प्रथम तुर्की था, जिसने हिंदूशाही शासक जयपाल को पराजित किया ।
  • सुबुक्तगीन के निधन के बाद उसका पुत्र महमूद गजनवी 998 ई. में गजनी का शासक बना।

महमूद गजनबी (यामिनी वंश)

  • महमूद गजनबी 998 ई. में शासक बना। उस समय उसकी आयु 27 वर्ष थी। महमूद गजनबी 1000 से 1027 ई के बीच 17 बार भारत पर आक्रमण किया ।
उदेश्यः-
महमूद गजनबी मध्य एशिया में एक बड़े साम्राज्य की स्थापना के लिए धन प्राप्त करने के उदेश्य से भारत पर आक्रमण किया ।
  • महमूद ने 1000 ई. में भारत पर आक्रमण शुरू किया तथा सीमावर्ती क्षेत्र के दुर्गो को जीता। तत्पश्चात् 1001 ई. में पंजाब के हिन्दूशाही राजवंश के उपर आक्रमण किया। इसकी राजधानी वैहिन्द थी । इस राजवंश के संस्थापक कल्लर था। इस समय यहाँ के शासक जयपाल थें जो पराजित होकर आत्मग्लानिवश आत्महत्या कर लिया। उसका उत्तराधिकारी उसका पुत्र आनंदपाल हुआ।
  • 1009 ई. में हिन्दुशाही राजा आनंदपाल से बैहिन्द के निकट महमूद का युद्ध हुआ जिसमें आनंदपाल पराजित हुआ ।
  • महमूद गजनवी का 1008 में नगरकोट के विरूद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरूद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बतायी जाती है।
  • महमूद गजनवी ने बुतशिकन अर्थात मूर्तिभंजक की उपाधि धारण किया।
  • 1014 ई. में थानेश्वर पर आक्रमण किया ।
  • 1018 ई. में महमूद ने कन्नौज क्षेत्र पर आक्रमण किया । वहाँ गुर्जर प्रतिहार के प्रतिनिधि राज्यपाल का शासन था जो भाग खड़ा हुआ ।
  • भारत में महमूद गजनवी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अभियान 1025-26 में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण था (गुजरात, शिव मंदिर) उस समय वहाँ का शासक भीम प्रथम था । इस युद्ध में 50000 लोग मारे गयें। महमूद इस मंदिर को पूर्णतः नष्ट करके इसकी अकूत संपत्ति को लेकर सिंध के रेगिस्तान से वापस लौट गया ।
  • महमूद ने अंतिम आक्रमण 1027 ई. में जाटों के विरूद्ध किया और उन्हें पराजित किया क्योकि सोमनाथ को लूटकर वापस जाते समय महमूद को पश्मिोत्तर में सिंध के जाटों ने क्षति पहुँचाई थी ।
  • महमूद गजनवी इस्लामी जगत का पहला सुल्तान था जिसे खलीफा ने सुल्तान पद का प्रमाण पत्र दिया ।
  • महमूद गजनवी ने यामिनी उद्दद्दौला (सम्राज्य का दाहिना हाथ ) एवं यामिनी उल-मिल्लत (मुस्लमानों का संरक्षक) की उपाधि धारण किया ।

मुहम्मद गौरी (शंसबनी वंश)

  • भारत में मुसलमानों के साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मुइजुद्दीन मुहम्मद बिन साम था, जिसे शिहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी अथवा “गौर वंश का मुहम्मद" भी कहा जाता है।
  • 12वीं शताब्दी के मध्य में गौरी वंश का उदय हुआ । गजनी साम्राज्य के अंतर्गत एक छोटा प्रांत गौर था। मुहम्मद गौरी 1173 ई. में यहाँ का शासक बना । ushan
  • साम्राज्य स्थापना के उदेश्य से 1175 ई. से 1205 ई. के मध्य गौरी ने कई बार भारत पर आक्रमण किये ।
  • मुहम्मद गौरी भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर किया । मुल्तान के मुसलमानों को पराजित कर उसने वहाँ अधिकार कर लिया।
  • मुल्तान से आगे बढ़ते हुए 1178 ई. में उसने पाटन (गुजरात) पर आक्रमण किया, परंतु गुजरात के शासक भीम द्वितीय माउंट आबू पर्वत पर उसे बुरी तरह परास्त किया जो किसी तुर्क मुस्लिम शासक की भारत में पहली हार थी।
  • मुहम्मद गौरी 1179 में पेशावर को 1181 लाहौर, 1185 सियालकोट को जीता। 
  • लाहौर को केंद्र बनाकर 1189 में मुहम्मद गौरी ने भटिंडा के दुर्ग को जीता। उस समय भटिंडा का शासन पृथ्वीराज चौहान के पास था। भटिंडा के दुर्ग पर कब्जा कर लेने से पृथ्वीराज चौहान अत्यंत क्रोधित हुए और यही तराईन के युद्ध का तत्कालीक कारण बना।
तराईन का प्रथम युद्ध (हरियाणा):-
यह युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ जिसमें पृथ्वीराज चौहान विजयी हुए ।
तराईन का द्वितीय युद्धः-
यह युद्ध 1192 ई. में मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी की जीत हुई। इसी विजय के बाद दिल्ली में गौर साम्राज्य की स्थापना हुई ।
  • इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने कहा है कि- तराईन का द्वितीय युद्ध ऐसा निर्णायक युद्ध साबित हुआ जिसने भारत पर मुसलमानों की आधारभूत सफलता निश्चित कर दिया। बाद में होने वाले आक्रमण परिणाम थें ।
  • तराईन के युद्ध के बाद गौरी ने हाँसी, समाना, मेरठ, अलीगढ़ पर अधिकार कर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
चंदावर का युद्ध (फिरोजाबाद, उत्तरप्रदेश):-
यह युद्ध मुहम्मद गौरी तथा कन्नौज के गहड़वाल वंश के शासक जयचंद के बीच हुआ जिसमें जयचंद की हार हुई और वह मारा गया।
  • मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने 1203 में बिहार विजय, 1204-05 बंगाल विजय एवं असम पर 1206 में आक्रमण किया ।
  • 1206 ई. में मुहम्मद गौरी भारत से वापस जाते हुए सिंध नदी के पास दमयक नामक स्थान पर कुछ लड़ाकू जातियों के हमले में मारा गया।
  • मुहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद भारत में तुर्की साम्राज्य का शासन कुतुबद्दीन ऐबक ने संभाला। जिन्होनें दिल्ली में ममलूक वंश के शासन की स्थापना किया।
  • मुहम्मद गौरी के साथ प्रसिद्ध संत शेख मोइनुद्दीन चिश्ती भारत आए । संत मोइनुद्दीन चिश्ती ने भारत में चिश्ती संप्रदाय की स्थापना किया।
  • मुहम्मद गौरी ने भारत में लक्ष्मी की आकृति वाला सिक्का जारी किया।
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