विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव | Magnetic Effects of Electric Current | NCERT EXAMPLAR SOLUTION | CLASS 10TH | SCIENCE (विज्ञान)

NCERT EXAMPLAR SOLUTION | CLASS 10TH | SCIENCE (विज्ञान) | Magnetic Effects of Electric Current विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव
1. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के संबंध में निम्न में से असत्य प्रकथन का चयन कीजिए-
(a) किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा वह होती है जिस ओर किसी चुंबकीय दिक्सूची का उत्तर ध्रुव संकेत करता है
(b) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ बंद वक्र की होती हैं
(c) यदि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर तथा समदूरस्थ हैं, तो वे शून्य क्षेत्र तीव्रता को निरूपित करती हैं
(d) चुंबकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दर्शायी जाती है
उत्तर - (c)
2. किसी लंबी सीधी परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर इसके दोनों सिरों पर N तथा S ध्रुव बन जाते है। निम्न में से कौन-सा असत्य प्रकथन है ?
(a) परिनालिका के भीतर क्षेत्र रेखाएँ, सरल रेखाओं के रूप में होती हैं जो यह निर्दिष्ट करता हैं कि परिनालिका के भीतर सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र समान होता है।
(b) परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुबंकीय क्षेत्र का उपयोग चुंबकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे के टुकड़ों को, परिनालिका के भीतर रखकर, चुंबकित करने में किया जा सकता है
(c) परिनालिका से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र का पैटर्न छड़ चुंबक के चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र के पैटर्न से भिन्न होता है
(d) परिनालिका में प्रवाहित धारा की दिशा उत्क्रमित करने पर N तथा S ध्रुवों की अदला-बदली हो जाती है।
उत्तर - (c)
3. व्यापारिक विद्युत मोटरों में निम्नलिखित में से किसका उपयोग नहीं किया जाता है ?
(a) आर्मेचर को घूर्णित करने के लिए विद्युत चुंबक
(b) विद्युतवाही कुंडली में चालक तार के फेरों की प्रभावी अधिक संख्या
(c) आर्मेचर को घूर्णित करने के लिए स्थायी चुंबक
(d) कुंडली को लपेटने के लिए नर्म लोह या कोर
उत्तर - (c)
4. निम्नलिखित में असत्य प्रकथन का चयन कीजिए-
(a) प्रेरित धारा की दिशा जानने के लिए फ्लेमिंग दक्षिण हस्त नियम एक सरल नियम है
(b) धारावाही चाल के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा जानने के लिए दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम उपयोग किया जाता है
(c) दिष्ट तथा प्रत्यावर्ती धाराओं में यह अंतर है कि दिष्ट धारा सदैव की ही दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि प्रत्यावर्ती धारा की दिशा आवर्ती रूप से उत्क्रमित होती है
(d) भारत में प्रत्यावर्ती धारा में प्रत्येक 1/50 सेकंड के पश्चात दिशा परिवर्तन होता है
उत्तर - (d)
5. किसी लंबी सीधी धारावाही परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
(a) केंद्र की अपेक्षा सिरों पर अधिक होती है
(b) मध्य में सबसे कम होती है
(c) सभी बिंदुओं पर समान होती है
(d) एक सिरे से दसूरे सिरे की ओर बढ़ती जाती है
उत्तर - (c)
6. AC जनित्र को DC जनित्र में परिवर्तित करने के लिए -
(a) विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का उपयोग किया जाता है
(b) सर्पी वलयों एवं ब्रुशों का उपयोग किया जाता है
(c) अधिक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है
(d) तार के आयताकार पाश का उपयोग किया जाता है
उत्तर - (a)
7. घरेलु संधारित्रों को लघुपथन अथवा अतिभारण से बचाने के लिए उपयोग किया जाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय क्या है ?
(a) भूसंपर्कण
(b) फ्यूज़ का उपयोग
(c) स्टैबिलाइजर (Stabilizer) का उपयोग
(d) विद्युत मोटरों का उपयोग
उत्तर - (b)
ANSWERS
DISCUSSION
1. (c) यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर तथा समदुरस्थ हैं, तो वे समान ( एक ही) क्षेत्र तीव्रता को निरूपित करती है। न की शून्य।
- किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी चुंबकीय बल का अनुभव किया जाए, चुम्बक का चुंबकीय क्षेत्र होता है।
- चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलती है तथा वक्र बनाती हुई चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती है।
- और पुन: चुंबक के अंदर से होती हुई वापस उत्तरी ध्रुव पर लौट आती है।
- अतः चुंबकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र बनाती है।
- जबकी विद्युतीय बल रेखाएँ बन्द नहीं बनाती बल्की खुली रेखाएँ बनाती है।
- चुंबकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को आपस में कभी नहीं काटती है।
- चुंबक के ध्रुव (उत्तरी या दक्षिणी) के निकट चुंबकीय बल प्रबल होती है क्योंकि चुंबकीय बल रेखाएँ पास-पास होती है।
- लेकिन चुंबक के बीच में चुम्बकीय प्रबलता बहुत कम होती है, ध्रुवों के अपेक्षा ।
2. (c) परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर इसके दोनों सिरो पर N (उत्तरी ध्रुव) तथा S (दक्षिणी ध्रुव) बन जाते है।
- परिनालिका-यह एक प्रकार का छड़ चुम्बक के जैसा ही व्यवहार करता है।
- परिनालिका के N तथा S ध्रुवों को प्रवाहित धारा की दिशा बदलकर बदला जा सकता है।
- धारा को बढ़ाने पर परिनालिका के चुम्बकीय तीव्रता बढ़ाई जा सकती है तथा घटाने पर घटायी जा सकती है।
- परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव पर जाती है।
- फिर परिनालिका के भीतर से होते हुए पुनः उत्तरी ध्रुव पर पहुँच जाती है।
- परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग चुंबकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे के टुकड़ों को, परिनालिका के भीतर रखकर, चुंबकीय करने में किया जाता है।
- स्थायी चुंबक स्टील से बनाई जती है।
- क्योंकि स्टील की धारण शक्ति, नर्म लोहे की अपेक्षा बहुत अधिक होती है।
- स्थायी चुंबक बनाने के लिए स्टील, कोबाल्ट व निकिल धातुओं से बनाई जाती है।
- स्टील कोबाल्ट तथा निकिल का मिश्रित करके स्थायी चुंबक बनाई जाती है।
3. (c) व्यापारिक विद्युत मोटरों में आर्मेचर को घूर्णित करने के लिए स्थायी चुम्बक का उपयोग नहीं किया जाता है ।
- विद्युत मोटरों में आर्मेचर को घूमाने के लिए हमेशा विद्युत चुंबक का उपयोग किया जाता।
- विद्युत चुंबक में जितनी ज्यादा फेरों की संख्या होगी चुंबकीय तीव्रता उतनी ही अधिक होगी।
4. (d) भारत में प्रत्यावर्ती धारा 50Hz की आवृति के साथ 1/100 sec के बाद बदलती है।
- अत: भारत में प्रत्यावर्ती धारा में प्रत्येक 1/50sec के पश्चात दिशा परिवर्त्तन होता है। यह गलत कथन होगा।
- फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात है की जब कुंडली की गति की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र के दाहिने कोण पर होती है तो दिष्ट धारा सबसे अधिक पाई जाती है।
- प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग बिना किसी हानि के लम्बे समय तक तथा लम्बी दूरी तक संचारित करने में किया जाता है।
- AC (प्रत्यावर्ती धारा) का मान समय के साथ बदलता है।
- AC का उपयोग आमतौर पर घरों में बल्बों, कूलर, पंखे, TV आदि चलाने में किया जाता है।
- DC (Direct Current) का मान तथा दिशा नियत रहते है, समय के साथ नहीं बदलते है।
- हमारे घरों में बिजली AC से आती है लेकिन बैटरी में संचित DC धारा को करते है।
- DC का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग में उपयोग करते हैं।
- AC (करेंट) की फ्रीक्वेंसी की वजह से खतरनाक होता है।
- DC में कोई फ्रिक्वेंसी नहीं होती जिसके कारण सुरक्षित होता।
5. (c) परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता सभी बिंदुओं पर समान होती है।
- परिनालिका के अंदर की ओर एक समांतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ होती है।
- जो एक समान चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है।
- जिसमें ज्ञात है, कि यह सभी बिंदुओं पर समान है।
- छड़ चुम्बक में यह देखा जाता है जब चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक कुंडली बनाते हुए आपस में मिल जाती है तो चुम्बकीय क्षेत्र सिरों पर प्रबल होता है।
- लेकिन परिनालिका में रेखाएँ समांतर होती है इसलिए यह सभी स्थानों पर एक समान रहती है ।
- छड़ चुम्बक के मध्य में चुम्बकीय तीव्रता कम होती है।
- परिनालिका के अंदर एक समान चुंबकीय क्षेत्र होता।
6. (a) AC जनित्र को DC जनित्र में परिवर्त्तित करने के लिए विभक्त वलय दिक्परिवर्त्तक का उपयोग किया जाता है।
- दिक सूचक सर्पी वलय का उपयोग किया जाना चाहिए।
- इस व्यवस्था के साथ, एक ब्रुश हर समय क्षेत्र में ऊपर की ओर एक गतिमान हाथ के साथ सम्पर्क में रहता है।
- दूसरा नीचे की ओर गतिमान हाथ के सम्पर्क में रहता है।
- इस प्रकार एक दिशात्मक धारा उत्पन्न होता है जिसे दिष्ट धारा जनित्र कहते हैं।
- सर्पी वलयों एवं ब्रुशों का उपयोग विद्युत मोटर में किया जाता है, विद्युत जनित्र में नहीं।
- एक दिशात्मक प्रवाह उत्पन्न करने के लिए सर्पी वलय की आवश्यकता होती है।
- जनरेटर एक यांत्रिक उपकरण जो यांत्रिक ऊर्जा से AC विद्युत शक्ति में परिवर्तित करता है।
- जबकि DC जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को DC में परिवर्तित करता है।
- AC जनरेटर को अल्टरनेटर भी कहा जाता है।
- उत्पन्न विद्युत ऊर्जा एक प्रत्यावर्ती धारा साइन सॉइडल आउटपुट तरंग के रूप में होती है।
- अगर शरीर सूखा है तो प्रतिरोध 100000 ओम होगा।
- ऐसे में 220 वोल्ट छुएंगे तो सिर्फ 220 ÷ 100000 = 2.2 मिली एम्पीयर का करंट लगेगा जो हल्का झटका देगा।
- AC जनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत के आधार पर काम करता है।
7. (b) विद्युत परिपथ में लगा फ्यूज परिपथ तथा संधारित्र को अतिभारण के कारण होने वाली क्षति से बचाता है।
- विद्युत्मय तार और उदासीन तार के सीधे संपर्क में आने पर अतिभारण हो सकता है।
- यह तब होता है जब तारों को विद्युत शोधन क्षतिग्रस्त या उपकरण में कोई भ्रंश (खराबी) हो जाता है।
- भू संपर्कण - यह सुनिश्चित करता है कि यदि उपकरण में कोई विद्युत का क्षरण होता है तो उपकरण अतिरिक्त धारा को भूसंपर्कण में प्रवाहित कर दें।
- जिससे उपयोगकर्ता को विद्युत का गंभीर झटका नहीं लग सकता।
- लेकिन लघुपथन के लिए फ्यूज की सुरक्षा आवश्यक है।
- स्टेबलाइजर का उपयोग उपकरणों को उच्च वोल्टता की विद्युत से बचाने में किया जाता है।
- विद्युत मीटरों का उपयोग विशेष रूप से घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत धारा को मापता है।