वस्तु एवं सेवा कर परिषद् | भारत की राजव्यवस्था | UPSC

वस्तु एवं सेवा कर परिषद् | भारत की राजव्यवस्था | UPSC


वस्तु एवं सेवा कर परिषद्

परिषद् की स्थापना

101वें संशोधन अधिनियम, 2016 ने देश में एक नई कर प्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया (अर्थात् वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी) । इस कर को सुगमता तथा कुशलता से प्रशासित करने के लिए केन्द्र और राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग की जरूरत है। इसी प्रक्रिया को चलाने के लिए संशोधन के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर परिषद्, जीएसटी काउंसिल की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
संशोधन द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद-279ए जोड़ा गया है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को एक आदेश के द्वारा जीएसटी काउंसिल की स्थापना के लिए शक्तिमत करता है। इसी के अनुसार राष्ट्रपति ने 2016 में अपने आदेश द्वारा काउंसिल की स्थापना की।
काउंसिल का सचिवालय दिल्ली में स्थित है। केन्द्रीय राजस्व सचिव' काउंसिल के पदेन सचिव हैं।

काउंसिल की दृष्टि और लक्ष्य

अपने कार्य-सम्पादन के दौरान काउंसिल जीएसटी की एक सौहार्दपूर्ण व्यवस्था तथा वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए एक राष्ट्रीय बाजार की जरूरत द्वारा निर्देशित होगी। इसके साथ ही, काउंसिल अपने कामकाज में आवश्यक प्रक्रियाओं का भी निर्धारण करेगी।
काउंसिल की दृष्टि और लक्ष्य निम्नवत् हैं:
  • दृष्टि (Vision) : काउंसिल के कामकाज में सहकारी संघ (Cooperative federation) के उच्च मानकों को स्थापित करना, जो कि जीएसटी से संबंधित सभी जरूरी निर्णय लेने की शक्ति रखने वाला पहला संवैधानिक संघीय निकाय है।
  • लक्ष्य (Mission): व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया विकसित करके ऐसी जीएसटी संरचना खड़ी करना जो कि सूचना प्रौद्योगिकी प्रचालित हो तथा उपयोगकर्ता हितैषी हो ।

काउंसिल की संरचना

काउंसिल केन्द्र एवं राज्यों का एक संयुक्त फोरम है, जिसके निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
  1. केन्द्रीय वित्त मंत्री, अध्यक्ष
  2. राजस्व अथवा वित्त के प्रभारी केन्द्रीय राज्यमंत्री तथा
  3. प्रत्येक राज्य के वित्त अथवा करारोपण के अथवा राज्य सरकार द्वारा नामित अन्य विभाग के मंत्री
काउंसिल के राज्यों से नामित सदस्य आपस में से किसी को काउंसिल का उपाध्यक्ष चुनते हैं। वे उसके कार्यकाल को निर्धारित कर सकते हैं।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Control Board of Excise and Customs) के अध्यक्ष को काउंसिल की हर बैठक में स्थाई आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है, लेकिन उसे मतदान का अधिकार नहीं होगा।

काउंसिल का कामकाज

काउंसिल के सभी निर्णय इसकी बैठकों में लिए जाते हैं। काउंसिल के कुल सदस्यों की आधी संख्या प्रत्येक बैठक के लिए फोरम के रूप में अनिवार्य है। काउंसिल का प्रत्येक निर्णय बैठक में उपस्थित सदस्यों के भारित मतों के तीन-चौथाई बहुमत से लिया जाता है। निर्णय निम्नलिखित सिद्धांतों के अनुसार लिए जाते हैं:
  1. केन्द्र सरकार के मतों का भार बैठक में दिए कुल मतों के एक-तिहाई के बराबर होगा, तथा;
  2. समस्त राज्य सरकारों के मतों का भार बैठक में दिए गए कुल मतों के दो-तिहाई के बराबर होगा।
काउंसिल के किसी कृत्य अथवा कार्यवाही को निम्नलिखित आधारों पर अमान्य (invalid) नहीं किया जा सकेगा:
  1. काउंसिल के संविधान में कोई रिक्ति अथवा दोष होने पर, अथवा
  2. काउंसिल की कोई प्रक्रियागत अनियमितता, जिससे मामले की योग्यता प्रभावित न होती हो ।

काउंसिल के कार्य

निम्नलिखित विषयों में काउंसिल केन्द्र एवं राज्यों को अपनी अनुशंसाएं भेजने के लिए अधिकृत है:
  1. केन्द्र, राज्यों तथा स्थानीय निकायों द्वारा आरोपित करों, उपकरों तथा अधिकारों के विषय में जिन्हें जीएसटी में विलमित होता है। 
  2. उन वस्तुओं और सेवाओं के विषय में जिन पर वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी लगना है, या मुक्त किया जाना है।
  3. आदर्श जीएसटी कानून उगाही के सिद्धांत, अन्तर-प्रांतीय व्यापार अथवा वाणिज्य के दौरान लगाए गए जीएसटी तथा आपूर्ति स्थान को शासित करने वाला सिद्धांत | 
  4. कारोबार की सीमा जिसके नीचे वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी से मुक्त किया जा सकता है।
  5. जीएसटी बैंड सहित दरें, न्यूनतम नियत दरों (floor rates) सहित।
  6. किसी प्राकृतिक आपदा - विपदा के दौरान एक नियत अवधि के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने हेतु कोई विशेष दर अथवा दरें।
  7. अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू एवं कश्मीर', मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के लिए विशेष प्रावधान के विषय में।
  8. जीएसटी से संबंधित कोई अन्य मामला जो काउंसिल तय करे।

काउंसिल के अन्य कार्य

उपरोक्त के अलावा जीएसटी काउंसिल के अन्य कार्य निम्नलिखित हैं
  1. काउंसिल ही अनुशंसा करेगा कि किस तारीख से कच्चे पेट्रोलियम पदार्थ, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल), प्राकृतिक गैस तथा उड्डयन टर्बाइन ईंधन पर जीएसटी लगाया जाएगा।
  2. काउंसिल की किसी अनुशंसा अथवा उसे लागू करने के विषय में कोई विवाद होता है तो मामले में अधि निर्णय के लिए काउंसिल एक तंत्र का निर्माण करेगा:
    1. केन्द्र तथा राज्य अथवा राज्यों के बीच,
    2. केन्द्र तथा कोई राज्य या अनेक राज्य एक ओर तथा कोई राज्य या अनेक राज्य दूसरी ओर,
    3. दो अथवा अधिक राज्यों के बीच
  3. काउंसिल पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी लागू होने के कारण राज्यों को हुई क्षति की पूर्ति के लिए अनुशंसा करेगा। इसी अनुशंसा के आधार पर संसद क्षतिपूर्ति का निर्धारण करती है। इसी अनुसार संसद ने 2019' में कानून बनाया।
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