पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण | पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण क्या है | पदार्थ किसे कहते हैं

 पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण | पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण क्या है | पदार्थ किसे कहते हैं


माना जाता है कि रसायन विज्ञान का प्रारंभ मिस्र देश में हुआ क्योंकि प्रारंभ से ही मिस्र देश में कई तरह के रसायनिक पदार्थ बनते थें तथा वही से इनका प्रसार अन्य देश में हुआ ।


General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | पदार्थ और पदार्थ का वर्गीकरण

रसायन विज्ञान का प्रारंभ :
माना जाता है कि रसायन विज्ञान का प्रारंभ मिस्र देश में हुआ क्योंकि प्रारंभ से ही मिस्र देश में कई तरह के रसायनिक पदार्थ बनते थें तथा वही से इनका प्रसार अन्य देश में हुआ ।
रसायन विज्ञान हेतु (Chemistry) :
अंग्रेजी में रसायन विज्ञान को Chemistry कहते हैं । इस शब्द की उत्पत्ति मिस्र के केम (CHEMI) शब्द से हुआ जिसका अर्थ होता है- काली मिट्टी ।
रसायन विज्ञान के पिता :
आधुनिक रसायन विज्ञान के पिता या जनक लेवायसिये को कहते हैं।
रसायन विज्ञान की परिभाषा :
रोअल्ड हॉफमैन ने रसायन विज्ञान की परिभाषा निम्न तरह से बताया है- "रसायन विज्ञान अणुओं और उसके रूपांतरण का विज्ञान है । यह न केवल एक सौ तत्वों का विज्ञान है अपितु उसने निर्मित होने वाले असंख्य प्रकार के अणुओं का भी विज्ञान है।"
  • कोई भी वस्तु जो स्थान घरेती हो, जिसमें द्रव्यमान और आयतन हो, जो अवरोध उत्पन्न करें पदार्थ ( Matter) या द्रव्य कहलाती है।
  • वैसा पदार्थ जिस पर से विरूपक बल हटा लेने पर वह अपने पूर्व आकार को पूर्णतः प्राप्त कर लेते हैं Perfectly elastic (पूर्णत: प्रत्यास्थ) पदार्थ कहलाते हैं । 
पदार्थ में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-
  1. पदार्थ कणों का बना होता है।
  2. पदार्थ के कण अत्यंत and ही सुक्ष्म होते हैं। इतने सूक्ष्म की हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते ।
  3. पदार्थ के कण स्थिर नहीं रहते हैं बल्कि हमेशा गतिशील रहते हैं 
  4. पदार्थ के कणों के बीच एक आकर्षण बल कार्यरत रहता है। इस आकर्षण बल को ( Intermolecular force of attraction) (अंतरा अणुक आकर्षण बल) कहते हैं ।
  5. पदार्थ के कणों के बीच कुछ स्थान रिक्त होते हैं। इस रिक्त स्थान को Intermolcular space कहते हैं । 
Classification of Matter
  • पदार्थ को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है- 1. ठोस (Solid), 2. द्रव (Liquid), 3. गैस (Gas) । 
  • पदार्थ के तीनों रूप (ठोस, द्रव और गैस) मानव शरीर में मौजूद है ।
  • एक अनुमान के अनुसार भार के विचार से हमारे शरीर में लगभग 70% जल है ।
ठोस पदार्थ के गुण :
  1. ठोस पदार्थ के आकृति और आयतन निश्चित होते हैं। ठोस पदार्थों में Intermolcular space बहुत ही कम तथा Intermolcular force बहुत ही अधिक होता है।
  2. ठोस पदार्थों का घनत्व काफी उच्च होता है।
    घनत्व (Density) = द्रव्यमान/आयतन
    घनत्व का SI मात्रक kgm-3 है।
  3. ठोस पदार्थों का द्रवणांक (Melting point) तथा क्वथनांक (Boiling point) उच्च होते हैं ।
  4. ठोस पदार्थ बहुत ही कठोर तथा दृढ़ (rigid) होते हैं ।
  5. ठोस पदार्थ असंपीड्य (Incompressible) होते हैं। Incompressible ऐसे पदार्थ जिस पर दाब बढ़ाकर या घटाकर उसके आयतन को घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता है उसे Incompressible पदार्थ कहते हैं ।
  6. ठोस पदार्थ के कण इतने मजबूती से बंधे होते हैं कि उसमें बहाव (Flow) की प्रवृत्ति नहीं पाये जाते हैं ।
  7. ठोस पदार्थ को गर्म या ठंडा करने पर क्रमशः प्रसार तथा संकुचन बहुत ही कम होता है ।
  8. उर्ध्वापातन (Sublimation) : वह प्रक्रिया जिसमें ठोस पदार्थ को गर्म करने पर वह बिना द्रव में परिणत और वाष्प को ठंडा करने पर बिना द्रव में परिणत हुए सीधे ठोस में परिणत हो जाता है, उर्ध्वपातन कहलाता है।
    उदा०— अमोनियम क्लोराइड (नौसादर), आयोडीन, कपूर, नैफ्थलीन, शुष्क बर्फ (ठोस CO2
  9. ठोस पदार्थ किसी दूसरे ठोस पदार्थ में विसरित नहीं होता है क्योंकि ठोस पदार्थ के कणों का गमण एक स्थान से दूसरे स्थान में नहीं होता है।
पदार्थ के द्रव अवस्था के गुण :
  1. द्रव की आकृति निश्चित नहीं होती है किंतु उसका आयतन निश्चित होता है ।
  2. द्रव के कणों के बीच (Intermolcular space) अधिक होने के कारण इसका घनत्व ठोस से कम होता है ।
  3. द्रव प्रायः Incompressible होते हैं। ठोस के तुलना में ये थोड़ा अधिक संपीड्य होते हैं।
  4. द्रव का Melting point और Boiling Point ठोस पदार्थों के तुलना में कम होते हैं ।
  5. द्रव में बहने (Flow) की प्रवृत्ति पायी जाती है ।
  6. द्रव में परस्पर मिश्रित हो जाने का गुण अथवा विसरण का गुण पाया जाता है।
गैस अवस्था के गुण
  1. गैस के कणों के बीच Intermolecular Force इतना कमजोर होता कि यह कण आसानी से गति कर सकते हैं और यही कारण है कि गैस की कोई निश्चित आकृति तथा आयतन नहीं होती है ।
  2. गैस का घनत्व ठोस तथा द्रव के तुलना में बहुत कम होते हैं ।
  3. गैस की संपीड्यता (Compressibility) बहुत अधिक होती है I
  4. गर्म या ठंडा करके गैस को क्रमशः प्रसरित या संकुचित किया जा सकता है।
  5. गैस में विसरण का गुण पाया जाता है ।
    विसरण (Diffusion)– घनत्व में अंतर रहते हुए भी गैस के परस्पर मिश्रित हो जाने की स्वाभाविक प्रक्रिया को गैसों का विसरण कहते हैं।
  6. गैस के कण अनवरत गतिशील रहते हैं जिसके कारण गैस को जिस वर्तन में रखा जाता है उस पर दाब आरोपित करते हैं ।
    • बरतन की दीवारों के प्रति ईकाई क्षेत्रफल पर गैस के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है ।
    • वायु दाब वायुमंडलीय दाब ( atm) कहलाता है। समुद्रतल पर वयु का दाब 1 वायुमंडलीय कहलाता है।
    • दाब का मात्रक Pascal (Pa) है।
      1 वायुमंडलल दाब = 1.01 × 105 Pascal
  •  पदार्थ की तीनों अवस्था को एक दूसरे में निम्न तरह द्रव गैस परिविर्तत किया जा सकता है-
  • वैज्ञानिकों ने पदार्थ के एक नई अवस्था का अविष्कार किया है जिसे Plasma अवस्था कहते हैं । Plasma अवस्था को पदार्थ की चौथी अवस्था भी कहते हैं ।
  • प्लाज्मा अवस्था में पदार्थ अत्यधिक आयनीकृत गैस के रूप में रहती है। इस अवस्था में पदार्थ के कण बहुत ऊर्जावान तथा बहुत उत्तेजित रहते हैं।
  • पदार्थ के Plasma अवस्था को उपयोग प्रदिप्ति ट्यूब (Fluorsecent tube) और नियॉन संकेत बल्व में किया जाता है ।
  • पदार्थ की पाँचवी अवस्था को बोस-आइंस्टाइन कंडेन्सेट (BEC) कहते हैं । सर्वप्रथम पदार्थ की पाँचवी अवस्था की अवधारणा भारत के भौतिक वैज्ञानिक—सत्येंद्रनाथ बोस ने प्रस्तुत किया था और बाद प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने इस अवस्था का पूर्वानुमान लगाया ।
  • Chemical Classification of Matter - रसायनिक संरचना के आधार पर पदार्थ को तीन वर्ग-तत्व, यौगिक मिश्रण में विभाजित किया गया है।
  • तत्व (Element)- वह पदार्थ जो किसी भी भौतिक या रसायनिक विधि द्वारा दो या दो से अधिक पदार्थों में विभक्त नहीं हो सकता है तत्व कहलाता है ।
    उदा०— हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सोना, ताँबा आदि ।
  • अब तक 118 से भी अधिक तत्व की खोज हो चुकी है जिनमें 92 तत्व प्रकृति में पाये जाते हैं शेष को संश्लेषित (Synthetics) किये गये हैं ।
  • तत्व को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा गया है - धातु (metal) तथा अधातु (Non-metal)
  • धातु (Metal) के गुणः-
    1. धातु एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है जिसे धातुई चमक कहते हैं ।
    2. ये उष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं ।
    3. धातु जब ठोस अवस्था में रहते हैं तो यह अधावतर्धनीय (Malleable) तथा तन्य (Ductile) होते हैं। होते हैं।
    4. धातु प्रायः ठोस होते हैं। धातु में पारा अपवाद है जो द्रव के रूप में पायी जाती है
  • अधातु के गुण-
    1. धातु में कोई विशेष चमक नहीं होती है। आयोडीन अपवाद है जो चमकीला होता है ।
    2. ये उष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं।
    3. अधातु और विद्युत के कुचालक होते हैं।
    4. ब्रोमीन एक ऐसी अधातु है जो द्रव रूप में पायी जाती है।
    5. प्रकृति में 22 ऐसे तत्व हैं जो अधातु है ।
  • उपधातु (Metalloid)- कुछ तत्व ऐसे हैं जिनमें धातु तथा अधातु दोनों के समान गुण पाये जाते हैं जिन्हें उपधातु कहते हैं। 
  • यौगिक (Compound) - यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रसायनिक संयोग के फलस्वरूप बनता है।
  • यौगिक के गुण-
    1. यौगिक के अवयवी तत्वों को किसी भी भौतिक विधि द्वारा अलग नहीं कर सकते हैं ।
    2. यौगिक को किसी रसायनिक क्रिया द्वारा विघटित करके दो या अधिक तत्व प्राप्त किया जा सकता है।
    3. किसी यौगिक के गुण उसके अवयवी तत्वों के गुण से बिलकुल भिन्न होते हैं ।
    4. जब यौगिक का निर्माण होता है तब प्रकाश या उष्मा के रूप में ऊर्जा का प्रायः उत्सर्जन या अवशोषण होता है ।
    5. यौगिक में उसके अवयवी तत्व भार के विचार से एक निश्चित अनुपात में रहते हैं ।
      उदा०-
      1. जल यौगिक है जिनके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का भार के विचार में अनुपात 1: 8 होता है ।
      2. CO2 में कार्बन तथा ऑक्सीजन के भार का अनुपात 3: 8 होता है।
    6. यौगिक के द्रवणांक और क्वथनांक निश्चित होते हैं तथा यौगिक के संघटन का गुण सर्वदा एकसमान रहते हैं ।
  • मिश्रण ( Mixture ) — मिश्रण वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिक को किसी भी अनुपात में मिला देने से बनता है ।
    • मिश्रण के अवयव को सरल तरीके से अलग किया ज सकता है।
    • वायु, बारूद, इस्पात सभी मिश्रधातु मिश्रण के उदाहरण हैं ।
    • मिश्रण दो प्रकार के हो सकते हैं- समांग मिश्रण तथा बिषमांग मिश्रण।
  • समांग मिश्रण- समांग मिश्रण का संघटन संपूर्ण मिश्रण में एकसमान रहता है।
    उदा० - चीनी- जल का मिश्रण
    एल्कोहल - जल का मिश्रण वायु
  • विषमांग मिश्रण– विषमांग- मिश्रण का संघटन संपूर्ण मिश्रण में एकसमान नहीं रहता है। उदा०- बालू-मक का मिश्रण
  • मिश्रण बनने पर कोई रसायनिक अभिक्रिया नहीं होती है तथा मिश्रण के द्रवणांक, क्वथनांक निश्चित नहीं होते हैं I
  • भौतिक अवस्था के आधार पर मिश्रण निम्न प्रकार के हो सकते हैं-
    1. ठोस - ठोस मिश्रण 
      उदा० - चीनी - बालू का मिश्रण
    2. ठोस - द्रव मिश्रण
      उदा० - नमक- जल का मिश्रण
    3. द्रव - गैस मिश्रण
      उदा० - मिट्टी के कणों के बीच वायु
    4. द्रव - गैस मिश्रण
      उदा० - जल में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन या नाइट्रोजन गैस का घुलना
    5. गैस - गैस मिश्रण
      उदा० - वायु
    6. द्रव - द्रव मिश्रण
      उदा० - जल एल्कोहॉल का मिश्रण
  • उपयोग में आने वाले प्रमुख मिश्रण पदार्थ -
    1. दूध
    2. स्याही (Ink)
    3. Soft Drink
    4. टिंचर आयोडीन
    5. वायु
    6. मिश्र धातु
  • मिश्रण को अलग करने की प्रमुख विधि-
    1. Distillation ( स्त्रवण ) -- वह प्रक्रिया जिसमें किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में परिवर्तित किया जाता है फिर वाष्प को ठंडा करके पुनः द्रव में संघनित किया जाता है, Distillation कहलाता है। Distillation द्वारा ऐसा मिश्रण को पृथक किया जाता है जो अपने क्वथनांक पर अपघटित नहीं होते हैं तथा मिश्रण अवयवों के क्वथनांक के बीच लगभग 25°C या अधिक या अंतर हो ।
    2. Fractional Distillation (प्रभाजी आसवन) - यह विधि दो या अधिक अवयव वाले मिश्रण की पृथक करने में अपनायी जाती है जिनके अवयवी द्रवों के क्वथनांक का अंतर बहुत कम ( 10°C या कम) होता है ।
      • पेट्रोलियम के विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन द्वारा ही अलग किया जाता है।
    3. क्रोमैटोग्राफी- इस तकनीक से वैसे मिश्रण को पृथक किया जाता है जिनके अवयव एक ही विलायक में विलेय (Soluble) होते हैं।
      • सर्वप्रथम इस तकनीक का उपयोग प्राकृतिक रंग के रंगीन अवयव को पृथक करने में किया गया था ।
      • स्याही ( Ink ) के अवयव इसी विधि द्वारा अलग हो सकता है।
  • Purification of Water:
    अशुद्ध जल को पीने योग्य बनाने हेतु जल का शुद्धिकरण होता है। यह प्रक्रिया निम्न तीनों चरणों में पूरा होता है-
    1. Sedimentation Tank - अशुद्ध जल को एक टंकी में डाला जाता है इसके बाद पानी में पोटाश एलम (फिटकरी) मिला दिया जाता है। पोटशएलम के कारण जल की अशुद्धि नीचे बैठ जाते हैं ।
    2. Filtration Tank— इस टंकी में जल को चारकोल, ककड़ और महीन बालू के स्तरों से गुजरना पड़ता है जिससे नल की निलंबित अशुद्ध दूर हो जाती है।
    3. Chlorination Tank - इस टंकी में जल में क्लोरीन मिला देते हैं जिससे जल में उपस्थित हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद जल पीने योग्य हो जाता है।
    भौतिक परिवर्तन (Physical change)-
    भौतिक परिवर्तन वह परिवर्तन है जिससे पदार्थ के कुछ गुणों में अस्थायी परिवर्तन आ जाता है। भौतिक परिवर्तन के दौरान पदार्थ के मूल संघटन और द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है और नहीं कोई नया पदार्थ बनता है ।
    • भौतिक परिवर्तन के उदाहरण-
      1. जल का वाष्प बनना ।
      2. नमक का जल में घुलना ।
      3. विद्युत बल्व से प्रकाश का उत्सर्जन ।
    रसायनिक परिवर्तन (Chemical change)--
    रसायनिक परिवर्तन के दौरान नया पदार्थ बनते हैं जिनके गुण एवं संरचना मूल पदार्थ से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
    • रसायनिक परिवर्तन के उदाहरण-
      1. लोहे पर जंग लगना
      2. कोयले का जलना
      3. लोहे एवं गंधक के मिश्रण को गर्म करना ।
      4. शरीर में भोजन का पचना
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