परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ | परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ क्या होता है | परमाणु किसे कहते हैं

 परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ | परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ क्या होता है | परमाणु किसे कहते हैं


तत्वों के संयोग से यौगिक बनने की प्रक्रिया कुछ निश्चित नियम के अनुसार होता है जिसे रसायनिक संयोग का नियम कहते हैं। यह नियम दो है-


General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | परमाणु की मौलिक अवधारणाएँ

Low of Chemical Combination-
तत्वों के संयोग से यौगिक बनने की प्रक्रिया कुछ निश्चित नियम के अनुसार होता है जिसे रसायनिक संयोग का नियम कहते हैं। यह नियम दो है-
  1. Law of Conservation of matter - रसायनिक अभिक्रिया के दौरान पदार्थों का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है। अगर x और У से तत्व प्रतिक्रिया कर M और N बनाते हैं तो x और y का कुल द्रव्यमान M और N के द्रव्यमान के बराबर होंगे। 
               x + y → M + N
    इस नियम का प्रतिपादक- लम्बवाजे के 1774 में किया था ।
  2. निश्चित अनुपात का नियम- किसी रसायनिक यौगिक के सभी शुद्ध नमूने में तत्व भार के विचार से हमेशा एक निश्चित अनुपात में परस्पर संयुक्त रहते हैं ।
    उदा०— जल को किसी स्त्रोत से प्राप्त किया जाए उसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के भार का अनुपात 1 : 8 रहता है। इस नियम का प्रतिपादन 1789 में प्राउस्ट द्वारा किया गया है ।
Dalton's atomic theory-
परमाणु के संबंध में सबसे पहला विचार इंगलैण्ड के स्कूल शिक्षक जॉन डॉल्टन ने प्रस्तुत किया। डाल्टन ने अपने परमाणु सिद्धांत में निम्न बातें कही-
  1. सभी पदार्थ सूक्ष्म कणों से बने होते हैं। जिन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु अभिभाज्य होता है।
  2. परमाणु का न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही विनाश।
  3. एक ही तत्व के सभी परमाणु हरेक दृष्टिकोण से समान होते हैं ।
  4. विभिन्न तत्व के परमाणु एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
  5. रसायनिक संयोग में दो या अधिक तत्वों के परमाणु परस्पर संयोग करके यौगिक बनाते हैं।
Dalton के परमाणु सिद्धान्त के दोष
  1. डाल्टन के अनुसार परमाणु अभिभाज्य होता है परन्तु परमाणु को छोटे-छोटे कणों में तोड़ा जा सकता है। 
  2. परमाणु सिद्धान्त के अनुसार एक तत्व के सभी परमाणु समान द्रव्यमान के होते हैं परन्तु तत्व के परमाणु विभिन्न द्रव्यमान वाले होते हैं जिन्हें समस्थानिक कहा जाता है ।
परमाणु (Atom)
  • किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण जो रसायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, परमाणु कहलाता है।
  • तत्व के सभी परमाणु एक समान होते हैं।
  • परमाणु सूक्ष्म तथा गोलीय कण है। जिसका व्यास 10-15 m होता है।
  • स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (ETM) के द्वारा परमाणु के आकार का अध्ययन किया जाता है ।
अणु (Molecule)
  • पदार्थ का सूक्ष्मतम कण को मुक्त अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है।
  • अणु परमाणु से मिलकर बना होता है और परमाणु मजबूत आकर्षण बल के द्वारा परस्पर जुड़े रहते हैं ।
  • एक पदार्थ के अणु हरेक दृष्टिकोण से समान होते हैं तथा निम्न पदार्थ के अणु एक-दूसरे से भिन्न होते हैं ।
परमाणुकता (Atomicity)
किसी पदार्थ के एक अणु में उपस्थित परमाणु की संख्या परमाणुकता कहलाती है । परमाणुकता के आधार पर अणु निम्न प्रकार के होते हैं-
  1. एक परमाणुक (Monoatomic) - इस प्रकार के अणु केवल एक परमाणु से मिलकर बना होता है।
    • Ex - सभी अक्रिय गैस एक परमाणुक होते हैं ।
  2. द्विपरमाणुक (Diatomic) - दो परमाणु से मिलकर बने अणु को द्विपरमाणुक कहते हैं।
    • Ex— हाइड्रोजन (Hz), ऑक्सीजन (O2), नाइट्रोजन (N2), सोडियम क्लोराइड (Nacl )
    • Note:- लगभग सभी गैसीय पद्धति अणु दो परमाणुक होते हैं।
  3. त्रिपरमाणुक (Triatomic)- तीन परमाणु से मिलकर बने अणु त्रिपरमाणुक कहलाते हैं।
    • उदा०– O3 (ओजोन), H2O (जल), CO2, H2S (हाइड्रोजन सल्फाइड)
  4. चतुष्परमाणुक ( Tetratomic)- चार परमाणु से मिलकर बने अणु को Tetratomic कहते हैं।
    • उदा०— NH3 (अमोनिया ). SO3, Pu ( फॉस्पोरस)
  5. 5. बहुपरमाणुक (Polyatomic)- चार से अधिक परमाणु से मिलकर बने अणु को बहुपरमाणुक कहते हैं।
    • उदा०— S8 (गंधक). CH4 (मेथेन) HNO3 (नाइट्रीक अम्ल)
परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)
परमाणु द्रव्यमान की वर्त्तमान पद्धति कार्बन - 12 मानक पर आधारित है जिसे 1961 ई० में स्वीकृति मिली। इसके अनुसार C-12 के 1 परमाणु का द्रव्यमान 12 a.m.u मान लिया ।
  • 12 a.m.u. = C-12 के एक परमाणु का द्रव्यमान
    = ½ C-12 के एक परमाणु का द्रव्यमान
    = 1.66 × 10–24 k
  • किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान एक संख्या है जो बताती है कि उस तत्व के परमाणु का द्रव्यमान C-12 परमाणु द्रव्यमान के 12वें भाग से कितना गुणा भारी है। 
  • ग्राम परमाणु द्रव्यमान - जब तत्व के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त किया जाता है तो वह ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहलाता है। ग्राम-परमाणु द्रव्यमान को ग्राम - परमाणु भी कहते हैं ।
आण्वीक द्रव्यमान (Molecular weight) -
किसी अणु का आण्वीक द्रव्यमान उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का योग होता है।
 उदा०— CH4 का आण्वीक द्रव्यमान
= C का परमाणु द्रव्यमान + 4 × (H- का परमाणु द्रव्यमान)
= 12 + 4 × 1
= 16 amu

परमाणु के मौलिक कण :

1. इलेक्ट्रॉन (Electron)
A. इलेक्ट्रॉन का आविष्कार जे. जे. टॉमसनने किया था।
B. इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश रहता है इलेक्ट्रॉन के आवेश का निर्धारण आर. ए. मिलीकन ने तेल- बिंदु प्रयोग द्वारा किया था । 1 electron पर आवेश –1.60 x 10-19C होता है। चूँकि यह आवेश बहुत ही न्यूनतम है। अतः इस आवेश को इकाई ऋण आवेश (1) कहा जाता है ।
C. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9011 × 10-28g या 9.11 × 10-31 kg होता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान H-atom के द्रव्यमान 1838वाँ भाग होता है।
2. प्रोटॉन (Proteon)
A. प्रोटॉन परमाणु में उपस्थित धन आवेशित युक्त कण है जिसका सबसे पहला प्रमाण गोल्डस्टीन ने दिया था बाद इसी धन आवेशित ऋण का पता रदरफोर्ड ने लगाया ।
B. प्रोटॉन पर इलेक्ट्रॉन के बराबर आवेश, किंतु विपरित चिन्ह वाला होता है। प्रोटॉन के आवेश का परिमाण +1.60 × 10-19 C होता है । इस आवेश को इकाई धन अवेश (+1) कहते हैं।
C. प्रोटॉन का द्रव्यमान H - atom के द्रव्यमान के बराबर यानि 1.67 × 10-24g है।
3. न्यूट्रॉन (Neutron)
A. 1932 ई० जेम्य चैडविक ने बैरीलियम धातु पर a कण से आघात कराकर न्यूट्रॉन का पता लगाया । 
B. न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं रहता है यानि यह उदासीन कण है।
C. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होते हैं ।
  • प्रारम्भ परमाणु तीन मूलभूत कण या लेकिन अब कई अन्य कणों की खोज की जा चुकी है। इन कणों का निर्माण अत्यधिक ऊर्जा वाले नाभिक की आपसी टक्कर या मूलभूत कणों के साथ टक्कर से किया गया है। परमाणु के अन्य मूलभूत कण निम्न हैं- 
  1. पाई - मेसोन: - इसकी खोज युकावा ने किया था। यह दो प्रकार के होते हैं- धनात्मक पाई मेसोन तथा ऋणात्मक पाई मेसोन। ये कण अस्थायी होते हैं और इनका जीवन काल 10-8 sec होता है इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 274 गुणा होता है ।
  2. पोजिट्रॉन :- इसका खोज एण्डरसन किया था। इसका आवेश और द्रव्यमान परिमाण में इलेक्ट्रॉन के बराबर होता है, लेकिन यह धन आवेशित कण है। इसे इलेक्ट्रॉन का एण्टी - कण भी कहते हैं ।
  3. न्यूट्रिनोः– इसकी खोज पाउली ने किया था। ये दो प्रकार के होते हैं न्यूट्रॉनों तथा एंटीन्यूट्रीना । इसका न तो द्रव्यमान होता है न ही आवेश। इनके चक्रण एक-दूसरे के विपरित होते हैं।
टॉमसन का परमाणु मॉडल-
जे. जे. टॉमसन (J. J. Thomson) ने 1893 में परमाणु के संबंध में एक मॉडल दिया जो पूरी तरह तरबूज की तरह था। टॉमसन के अनुसार परमाणु का धन आवेश तरबूज के खाने वाले लाल भाग की तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रॉन धन आवेशित गोले में तरबूज के बीज की भाँति धँसे हैं ।
  • टॉमसन के परमाणु मॉडल से सिर्फ यही बाद स्पष्ट हो पायी कि परमाणु में ऋण आवेश (इलेक्ट्रॉन) तथा धन आवेश (प्रोटॉन) बराबर होते हैं जिससे परमाणु उदासीन होता है।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल-
  • इलेक्ट्रॉन परमाणु में किस प्रकार से व्यवस्थित है यह जानने के लिए रदरफोर्ड एक प्रयोग किया जिससे रेडियम से निकले a कण को सोने के पत्तर पर प्रहार कराया गया । रदरफोर्ड के इस प्रयोग से निम्न सूचना प्राप्त हुई-
    1. अधिकांश α कण अपने मार्ग से विचलित हुए बिना सोने के पत्तर को पार कर सीधे निकल गये I
    2. कुछ α कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हुए ।
    3. बहुत कम α कण टकराकर 180° कोण अपने मार्ग पर पुनः वापस आये ।
  • रदरफोर्ड को अपने प्रयोग से निम्न निष्कर्ष निकालें- 
    1. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त है।
    2. कुछ धन आवेशित α कण अपने मार्ग से विचलित हुए अतः परमाणु के मध्य कोई समान, आवेश उपस्थित है।
    3. परमाणु में उपस्थित धन आवेश का आयतन अत्यंत ही कम है।
    4. रदरफोर्ड परमाणु के मध्य उपस्थित धन आवेश को नाभिक (Neucleus) कहा और परमाणु के संदर्भ में अपना परमाणु मॉडल दिया जो निम्न है ।
      1. परमाणु का संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में है।
      2. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त है ।
      3. परमाणु में ऋण आवेश और धन आवेश बराबर है जिससे परमाणु उदासीन है।
      4. नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन के तुलना में नगण्य है।
      5. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में चक्कर काटते हैं। जिसे Orbit (कक्षा) कहते हैं। 
  • रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौरमंडल के समान है जिसमें सूर्य परमाणु के नाभिक के समान है जबकि ग्रह इलेक्ट्रॉन के समान ।
  • रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त, 1871 में न्यूजीलैंड में हुआ था। 1908 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बोर का परमाणु मॉडल
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को संसोधित कर नील्स बोस परमाणु के संबंध एक नया मॉडल दिया जिसके अंतर्गत निम्न बातें कहीं गयी-
  1. परमाणु में electron नाभिक के चारों ओर निश्चित ऊर्जा वाले वृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं।
  2. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है तो इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा में कमी नहीं होती है।
  3. Electron जिस कक्षा में चक्कर लगाते हैं उसे ऊर्जा स्तर या Shell कहते हैं। अंदर से बहार की ओर इन कक्षाओं का क्रम निम्न बाहर की ओर इन कक्षाओं का क्रम निम्न प्रकार से होता है- K, L, M, N ........
  4. इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरे कक्षा में जा सकता है। इलेक्ट्रॉन जब भीतरी कक्षा से बाहरी कक्षा (K से L या L से M) में जाता है तो ऊर्जा का अवशोषण होता है। जब electron बाह्य कक्षा से भीतरी कक्षा (M से L या L से K) में आता है तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
परमाणु संख्या (Atomic Number)
  • परमाणु संख्या द्वारा ही किसी तत्व की पहचान की जाती है। परमाणु संख्या को Z द्वारा सूचित किया जाता है ।
    पमराणु संख्या (Z) = प्रोटॉन की संख्या
                             = इलेक्ट्रॉन की संख्या
  • परमाणु की नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या या उदासीन परमाणु इलेक्ट्रॉन की संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं ।
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