ऊर्जा के स्रोत | ऊर्जा के स्रोत कितने प्रकार के होते हैं | ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के बारे में बताएं और उनके उपयोग को समझाएं

 ऊर्जा के स्रोत | ऊर्जा के स्रोत कितने प्रकार के होते हैं | ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के बारे में बताएं और उनके उपयोग को समझाएं


ऊर्जा के  ऐसे स्त्रोत जिनका उपयोग हाल ही में प्रारंभ किये गये हैं गैर-परंपरागत स्त्रोत अथवा ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत कहलाते हैं।


General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | ऊर्जा के स्रोत

अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत (Non Renewable source of Energy)
  • ऐसे ऊर्जा स्त्रोत जिनका भंडार सीमित तथा दुर्लभ है, जिनका भंडार समाप्त होने वाले हैं जिसका हम बार-बार उपयोग नहीं कर सकते हैं अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं।
    उदा०:- कोयला, घरेलू गैस, पेट्रेल, डीजल और प्राकृतिक गैस । 
नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत (Renewable Source of Energy)
  • वे ऊर्जा स्त्रोत जिनका हम बार-बार उपयोग कर सकते हैं तथा जिनका अधिक दिनों तक उपयोग किया जा सकता है, नवीकरणीय ऊर्जा कहलाते हैं ।
    उदा०:- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बयोमास, नाभकीय ऊर्जा (संलयन द्वारा ) 
Note:- नाभकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है जबकि संलयन से प्राप्त ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है। 

ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत (Conventional Source of Energy)

  • ऊर्जा के स्त्रोत जिनका उपयोग बहुत पहले से किया जा रहा है, परंपरागत स्त्रोत कहलाते हैं ।
    उदा० :- लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, पवन, बायोमास, आदि ।
  • परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत के अंतर्गत नवीकरणीय तथा अवनवीकरणीय दोनों ऊर्जा स्त्रोत आते हैं।
    उदा० :- लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, पवन, बायोमास, आदि ।
ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोत (Non-Conventioal Soruce of Energy)
  • ऊर्जा के  ऐसे स्त्रोत जिनका उपयोग हाल ही में प्रारंभ किये गये हैं गैर-परंपरागत स्त्रोत अथवा ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत कहलाते हैं।
ईधन (Fuel)
  • ईधन ऊर्जा का स्त्रोत है। वैसे पदार्थ जो जलकर उष्मा - ऊर्जा प्रदान करता है, ईधन कहलाता है।
  • एक ग्राम या एक किलोग्राम ईधन के पूर्ण दहन से जितनी उष्मा उत्पन्न होता है उसे ईधन का उष्मीय मान कहते हैं।
  • अब तक ज्ञात सभी ईधन में हाइड्रोजन का उष्मीय मान सबसे अधिक है। हाइड्रोजन का उष्मीय मान 150KJ / g होता है I
  • वह न्यूनतम ताप जिसपर ईंधन जलना शुरू कर देता है उसे ईधन का ज्वलन ताप कहते हैं । प्रायः ठोस ईंधन (कोयला, कोक) का ज्वलन ताप अधिक तथा गैस ईधन (LPG, CNG ) का ज्वलन ताप कम होता है ।
दहन (Combustion)
  • ईधन का ऑक्सीजन (वायु) में जलकर प्रकाश और उष्मा उत्पन्न होने की घटना दहन कहलाता है। दहन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, यह प्रकार का ऑक्सीकरण अभिक्रिया है ।
  • ऑक्सीजन को दहन का पोषक कहते हैं। कार्बन डाई ऑक्साइड को दहन का अपोषक कहा जाता है।
  • दहन निम्न प्रकार के हो सकते हैं।
    1. द्रुत दहन: - इस प्रकार के दहन में उष्मा तथा प्रकाश बहुत ही अल्प समय में उत्पन्न हो जाते हैं।
      उदा० :- माचिस की तिली का जलना ।
    2. मंदन दहन:- यह दहन काफी मंद गति से सम्पन्न होता है । श्वसन एक मंद दहन है । श्वसन के दौरान काफी मंद गति भोजन (ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण होता है।
    3. स्वतः दहन:- इस प्रकार के दहन में बाहरी उष्मा की जरूरत नहीं होती है।
      उदा०:- फॉस्फोरस का हवा में जलना ।
    4. विस्फोट:- विस्फोट भी एक प्रकार का दहन है जो बाहरी दाब या बाहरी प्रहार से सम्पन्न कराया जाता है।
      उदा०:- बम, पटाखा का दहन
  • एक आदर्श या अच्छे ईंधन में निम्न विशेषता होनी चाहिए:-
    1. ईधन असानी से जलाया जा सके तथा यह सस्ता और सुलभ हो ।
    2. ईंधन का भंडारण सस्ता तथा सुरक्षित होनी चाहिए ।
    3. ईधन का उष्मीय मान उच्च तथा ज्वलन ताप निम्न होनी चाहिए ।
    4. ईंधन का दहन का दर न तो अधिक और न ही कम होनी चाहिए ।
    5. ईंधन जलने पर कम-से-कम प्रदूषण होनी चाहिए ।

प्रमुख ईधन

1. जीवाश्मी ईधन (Fossil Fuels)
  • जीवाश्मी ईधन का निर्माण आज से करोड़ो वर्ष पूर्व जमीन के अंदर दबे हुए जंतुओं एवं वनस्पति के अध्ययन से हुआ है। कोयला, पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस जीवाश्मी ईधन है ।
2. कोयला (Coal)
  • भूगर्भशास्त्री मानते हैं कि कोयला का निर्माण वृक्षों या वनस्पति के अवशेषों से हुआ है। ऐसा माना जाता है कि करोड़ो वर्ष पूर्व वनस्पति जमीन के अंदर धँसते चले गये जहाँ ताप तथा दाब की उपस्थिति में इसका मंद अपघटन हुआ और ये कोयले में परिणत हो गये ।
  • सीमित वायु में कोयले को तीव्रता से गर्म करने की प्रक्रिया भंजन आसवन कहलाता है। कोयले के भंजन आसवन से कोक, अलकतरा, अमोनिकल द्रव तथा कोल गैस बनता है।
  • कोक:- इसमें 85 - 90% तक कार्बन रहता है। कोक का इस्तेमाल औद्योगिक ईधन तथा लोहे के निष्कर्षण में किया जाता है। कोक का निर्माण जल गैस (Water gas) तथा प्रोड्यूसर गैस (Producer gas) बनाने में किया जाता है।
  • जल गैस:- जल गैस कार्बन-मोनोक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस का मिश्रण है यह एक अच्छा ईधन है क्योंकि इसका उष्मीय मान काफी उच्च होता है।
  • 998°C पर गर्म लाल तप्त कोक के ऊपर अति तप्त भाप प्रवाहित करने पर जल गैस बनता है ।
    C + H2O → CO + H2
  • प्रोड्यूसर गैस :- प्रोड्यूसर गैस कार्बन मोनो-क्साइड तथा नाइट्रोजन गैस का मिश्रण है। इसका उष्मीय मान जल गैस की तुलना में  कम होता है।
  • अलकतराः– इसका उपयोग पेंट, रंग तथा विस्फोटक पदार्थ तथा अन्य रसायनों के निर्माण में होता है।
  •  कोल गैस:- यह मेथेन, हाइड्रोजन, कार्बन-मोनोक्साइड का मिश्रण है । इस ईधन का इस्तेमाल घरेलू स्तर पर होता है।
  • खानों से निकलने वाले कोयले के चार किस्म पाये जाते हैं-
    1. पीट कोयलाः- यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है। इसमें कार्बन की माना 50-60% के बीच होता है।
    2. लिग्नाईट कोयलाः- इस कोयला में कार्बन की मात्रा 65% - 70% तक होती है। इस कोयला का रंग भूरा होता है, जिसके कारण इसे भूरा कोयला कहा जाता |
    3. बिटुमीनस कोयलाः- इसे मुलायम कोयला कहा जाता है । इसे सामान्य किस्म का कोयला भी कहा जाता है । घरेलू कार्य में इसी कोयला का इस्तेमाल होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% - 85% तक होती है। विश्व में पाये जाने वाले कोयला में 80% कोयला बिटुमीनस कुल के कोयला है।
    4. एन्थ्रसाईट कोयलाः- यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 55% से भी अधिक होता है। 
3. पेट्रोलियम
  • पेट्रोलियम अनेक हाइड्रो कार्बन का जटिल मिश्रण है। इसे कच्चा तेल भी कहते हैं। यह भूरे-काले रंग के द्रव के रूप में होता है तथा इसमें अल्प मात्रा में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन एवं गंधक के यौगिक होते हैं ।
  • पेट्रोलियम में उपस्थित विभिन्न अवयवों को अलग करने हेतु प्रभाजी आसवन प्रक्रिया अपनायी जाती है। पेट्रोलियम से प्राप्त उत्पाद में कार्बन अणुओं की संख्या 1 से 40 (C1 - C40) तक होती है। अक्सर पेट्रोलियम उपर प्राकृतिक गैस गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं ।
  • पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन के दौरान भिन्न-भिन्न ताप पर प्राप्त पेट्रोलियम उत्पाद-
    1. पेट्रोलियम गैस:-
      • क्वथनांक परिसर - कमरे के ताप पर
      • संघटन - C1 to C5
    2. पेट्रोल
      • क्वथनांक परिसर - 253 - 473k
      • संघटन— C5 to C11
    3. किरासन तेल
      • क्वथनांक परिसर - 473 - 573k
      • संघटन- C11 to C16
    4. डीजल
      • क्वथनांक परिसर - 573k - 673k
      • संघटन - C16 to C18
    5. अवशिष्ट (स्नेहक तेल, पैराफीनमोम)
      • क्वथनांक परिसर - 67k के उपर
      • संघटन - C17 to C30
4. पेट्रोलियम गैस
  • पेट्रोलियम गैस पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है। इसका मुख्य घटक- ब्यूटेन है, हल्की मात्रा में इसमें— एथेन तथा प्रोपेन भी रहता है।
  • पेट्रोलियम गैस को उच्च दाब पर द्रवित करके द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG – Liquified Petroleum Gas) बनाया जाता है ।
  • द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) का पूर्ण दहन होता है तथा इसका उष्मीय मान भी उच्च होता है। इसका उपयोग घरेलू ईधन के तौर पर व्यापक रूप से होता है।
5. प्राकृतिक गैस
  • यह एक जीवाश्म ईधन है। इसका निर्माण सूक्ष्म जीवों के लाखों वर्षों में जमीन के अंदर मंद अपघटन से हुआ है। इसका मुख्य घटक मेथेन है।
  • प्राकृतिक गैस को उच्च दाब पर संपीड़ित करके संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas) बनाया जात है। CNG का उपयोग आजकल ईंधन के रूप में काफी हो रहा है क्योंकि इसको जलाने पर पर्यावरण पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
6. जैव गैस या बायोगैस
  • मुक्त ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जीवाणु द्वारा जैव पदार्थों के अपघटन से जैव-गैस या बायो गैस तैयार होता है।
  • प्राकृतिक गैस भी एक प्रकार का जैव गैस ही है । परन्तु सबसे सस्ता सुलभ जैव गैस गोबर गैस है।
  • गोबर गैस की औसत संरचना इस प्रकार की होती है - 55% मिथेन, 7.4% हाइड्रोजन, 35% CO2, 2.6% N, तथा अल्प मात्रा में H2S रहता है। मुख्य रूप से बायोगैस (गोबर गैस) में 75% मेथेन गैस रहता है।
नॉकिंग (Knocking)
  • इंजन में पेट्रोल वाष्प वायु के साथ मिश्रित होकर इंजन के सिलिंडर में पहुँचता है और पहुँचकर अधिक दाब पर धीरे-धीरे जलता है जिससे इंजन को शक्ति प्राप्त होता है । परन्तु पेट्रोल में कुछ ऐसे हाइड्रो कार्बन होते हैं जो वायु के साथ मिश्रित होकर इंजन के सिलिंडर में पहुँचने से पहले ही जलने लगता है जिसके कारण इंजन सम्पूर्ण ईधन प्रयोग नहीं कर पाता है और इंजन के सिलिंडर से एक तीव आवाज आती है जिसे नॉकिंग कहते हैं ।
  • नॉकिंग से बचने हेतु ईधन (पेट्रोल या अन्य द्रव ईधन) में Aniknocking पदार्थ मिलाये जाते हैं। प्रमुख एन्टीनॉकिंग पदार्थ टेट्राएथिल लेड [(C2H5)4 Pb] है ।
ऑक्टेन नंबर (Octane Number)
  • Octane Number से ईधन की गुणवत्ता का मापन किया जाता है। Octane Number का मान जितना उच्च (अधिक) होता है ईधन उतना ही अच्छा माना जाता है और ऐसे ईधन के उपयोग से इंजन में नॉकिंग बहुत ही कम होता है।
  • नॉर्मल हेप्टेन की आक्टेन संख्या शून्य होता है तथा आइसोऑक्टेन का आक्टेन संख्या 100 होती है।
प्रणोदक (Propellant )
  • रॉकेट (अंतरिक्ष-यान) में प्रयुक्त होने वाले ईधन को प्रणोदक कहते हैं।
  • ठोस प्रणोदक तथा द्रव प्रणोदकः-
    1. प्रणोदक के जलने भारी मात्रा में उष्मा उत्पन्न होता है।
    2. प्रणोदक का दहन बहुत ही तीव्र गति से होता है ।
    3. प्रणोदक के दहन के बाद कोई अवशेष नहीं बचता है ।
  • प्रमुख प्रणोदक है- ऐल्कोहॉल, द्रव हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, हाइड्रोजन आदि ।
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