भारत की जलवायु | भारत की जलवायु कैसी है | भारत की जलवायु क्या है

General Competition | Geography | भारत की जलवायु
- भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मॉनसूनी जलवायु है।
- जलवायु : किसी भी क्षेत्र में लंबे समय तक जो मौसम की स्थिति होती है, उसे ही जलवायु कहते हैं।
- मौसम : किसी भी क्षेत्र में कुछ घंटा, कुछ दिन या कुछ सप्ताह तक जो वायुमंडलीय दशा होती है, उसे ही मौसम कहा जाता है।
- मॉनसून : मॉनसून अरबी भाषा के मोसिम से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ ऋतु होता है।
- मॉनसूनी पवन : मॉनसूनी पवन उस पवन को कहते हैं जो ऋतु में परिवर्तन के साथ अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है । भारत में दो प्रकार की मॉनसूनी पवन हैं-
- दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून
- उत्तरी-पूर्वी मॉनसून
- दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून : इस मॉनसून की उत्पत्ति भारत के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से होती है जिस कारण इसे दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून कहते हैं । इस पवन की उत्पत्ति ग्रीष्म ऋतु में हिंद महासागर अर्थात् जलीय भाग से होती है जिस कारण इस पवन में नमी की मात्रा होती है इसलिए यह पवन भारत में वर्षा कराती है।
- Note : भारत में सर्वाधिक वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून से ही होता है।
- मॉनसून प्रस्फोट (मॉनसून ब्रस्ट ) : भारत में मॉनसून का आगमन जून के प्रथम सप्ताह में केरल के तट पर होता है इसी घटना को मॉनसून प्रस्फोट कहते हैं।
- मॉनसून विच्छेद : वर्षा ऋतु में वर्षा का रुक-रुक कर होना मॉनसून विच्छेद कहलाता है ।
- उत्तरी-पूर्वी मॉनसून : इसकी उत्पत्ति भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग से होती है जिस कारण इसे उत्तरी-पूर्वी मॉनसून कहते हैं। इसकी उत्पत्ति हिमालय पर्वत से होती है अर्थात् स्थलीय भाग से होती है जिस कारण इसमें नमी नहीं होता है इसलिए यह मॉनसूनी पवन वर्षा नहीं कराती है।
- Note : 1. उत्तरी-पूर्वी मॉनसून या लौटता हुआ मॉनसून के कारण ही तमिलनाडु के तट पर जाड़े के दिनों में वर्षा होती है।2. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की दिशा उत्तर- पूर्व की ओर होती है तथा उत्तरी-पूर्वी मॉनसून की दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है।
- मॉनसून निवर्तन : मॉनसून के लौटने की घटना को मानसून निवर्तन कहते है।
- दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून जलीय भाग से स्थलीय भाग की ओर चलती है तथा उत्तरी-पूर्वी मॉनसून स्थलीय भाग से जलीय भाग की ओर चलती है।
- भारत में शरद ऋतु या शीत ऋतु में वर्षा दो क्षेत्रों में होता है।1. उत्तरी-पश्चिमी भारत2. दक्षिणी-पूर्वी भारत ।
- पश्चिमी विक्षोभ (जेट प्रवाह) : इसकी उत्पत्ति भूमध्य सागर से होती है। यह पूरब की ओर बहती है तथा काला सागर और कैस्पियन सागर से नमी प्राप्त करती है। यह भारत में प्रवेश उत्तरी-पश्चिमी भाग से करती है। यही मॉनसूनी पवन शरद या शीत ऋतु में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में वर्षा कराती है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण ही जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में शरद ऋतु में हिमपात होता है ।
- Note : पश्चिमी विक्षोभ रबी के फसल (गेहूँ, चना, मटर, सरसों, आलू) के लिए लाभदायक होता है।
- तमिलनाडु : शरद ऋतु में तमिलनाडु के तट पर वर्षा उत्तरी-पूर्वी मॉनसून या लौटते हुए मॉनसून के कारण होता है।
- हिमालय पर्वत : हिमालय पर्वत के कारण ही दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून से भारत में वर्षा होती है। अगर हिमालय पर्वत नहीं होता तो भारत में सूखा की स्थिति होती । हिमालय पर्वत ध्रुवीय अथवा साइबेरियाई क्षेत्र से आने वाली ठंडी पवनों को रोक लेती है और भारत के नागरिकों को कड़ाके की ठंड से बचाती है।
- Note : हिमालय पर्वत भारतीय जलवायु को प्रभावित करती हैं तथा जलवायु विभाजक के रूप में काम करती है।
- जो स्थान समुद्र के जितना नजदीक होता है वहाँ उतना अधिक बारिश होता है तथा जो स्थान समुद्र के जितना दूर होता है वहाँ उतना कम बारिश होता है । जैसे- कोलकाता में 119 cm वर्षा, पटना में 105 cm वर्षा, प्रयागराज ( इलाहाबाद) में 76 cm वर्षा, दिल्ली में 56 cm वर्षा ।
- भारत तथा विश्व में सर्वाधिक वर्षा मेघालय के मॉसिनराम में होता है। मॉसिनराम में वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के बंगाल की खाड़ी शाखा से होता है । ( 1141 cm)
- भारत में औसत वार्षिक वर्षा 125 cm होता है ।
- भारत में सबसे कम वर्षा लद्दाख के लेह में होता है। ( 30-40 cm)
- भारत का सबसे गर्म स्थान राजस्थान के बीकानेर का ब्रियावली है।
- भारत का सबसे ठंडा स्थान द्रास ( लद्दाख ) है ।
- भारत का सबसे ठंडा मरूस्थल - सियाचीनभारत का सबसे ठंडा मरूस्थल - थार मरूस्थलभारत का सबसे सफेद मरूस्थल - कच्छ का रन
- एलनीनो और भारतीय मॉनसून : एलनीनो एक गर्म जलधारा है इसकी उत्पत्ति दक्षिणी प्रशांत महासागर में पेरू के तट पर प्रत्येक चार से पाँच वर्ष की अवधि पर क्रिसमस के आसपास होती है। एलनीनो का शाब्दिक अर्थ बालकईशा होता है। एलनीनो जलधारा की उत्पत्ति होने से भारतीय मॉनसून पर निम्न प्रभाव पड़ता है-
- भारत में सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है।
- भारत में मॉनसून का आगमन 10 से 15 दिन देर से पहुँचता है।
- लानीनो : यह एक ठंडी जलधारा है इसकी उत्पत्ति प्रशांत महासागर से होती है। इस जलधारा का भारतीय मॉनसून पर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण भारत में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
- समुद्र देर से ठंडा और देर से गर्म होता है।
- स्थल तुरंत ठंडा और तुरंत गर्म होता है।
- वायु हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब (L.P.) की ओर चलती है।
- जलधारा दो प्रकार की होती है-.1. गर्म2. ठंडी।
- गर्म जलधारा : विषुवत रेखीय क्षेत्र में ध्रुव की ओर चलने वाली जलधारा को गर्म जलधारा कहते हैं।
- ठंडी जलधारा : ध्रुव से विषुवत रेखा की ओर चलने वाली जलधारा को ठंडी जलधारा कहते हैं।
- गर्म जलधारा अपने मार्ग में आने वाले जल को गर्म बना देती है और ठंडी जलधारा अपने मार्ग में आने वाले जल को ठंडी बना देती है।