अम्ल, क्षार और लवण | अम्ल क्षार और लवण की परिभाषा | अम्ल, क्षार एवं लवण के उदाहरण

 अम्ल, क्षार और लवण | अम्ल क्षार और लवण की परिभाषा | अम्ल, क्षार एवं लवण के उदाहरण


एसिड शब्द के उत्पत्ति के acidus से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "खट्टा" । गुणों के आधार पर अम्ल वे पदार्थ हैं जिसका जलीय विलयन-


General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | अम्ल, क्षार और लवण

अम्ल (Acid)
एसिड शब्द के उत्पत्ति के acidus से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "खट्टा" । गुणों के आधार पर अम्ल वे पदार्थ हैं जिसका जलीय विलयन-
  1. स्वाद से खट्टे होते हैं I
  2. धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन मुक्त करते हैं ।
  3. नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं ।
भस्म (Base)
वे पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वे होते हैं तथा अम्ल को उदासीन कर देते हैं ।
  • अम्ल तथा भस्म का सर्वोपरि गुण यह है कि जब भी अम्ल तथा भस्म आपस में अभिक्रिया करते हैं अम्ल, भस्म को उदासीन कर देते हैं तथा भस्म अम्ल को उदासीन कर देते हैं।
विद्युत अपघटय (Electrolyte)
सभी अम्ल, भस्म और लवण (Salt) के जलीय विलयन विद्युत का संचालन करते हैं जिन्हें विद्युत अपघट्य कहते हैं । 
  • वैसे यौगिक जिसके जलीय विलयन विद्युत का संचालन नहीं करते हैं उन्हें विद्युत अनपघट्य (Non-electolyte) कहते हैं ।
    उदा०- ऐल्कोहॉल, ग्लूकोज, यूरिया
आयनन (Ionisation)
जल के द्वारा electrolyte का आयनों में टूटने की क्रिया को आयनन कहते हैं। आयनन तुनता के साथ बढ़ता है । विलयन जितना ज्यादा तन्तु होगा आयनन की मात्रा उतनी ही अधिक होगी।
  • अम्ल हमेशा अम्लीय गुण को पदर्शित नहीं करते है । अम्ल के अम्लीय गुण को दर्शाने हेतु जल की उपस्थिति अनिवार्य है ।
उदा०-
  1. विशुद्ध एसीटिक अम्ल, अम्ल के किसी गुण को नहीं दर्शाता है परन्तु एसीटिक अम्ल का जलीय विलयन अम्ल के सभी गुण से प्रदर्शित करता है। 
  2. HCl गैस जल की अनुपस्थिति में अम्ल के गुणों को प्रदर्शित नहीं करता है परन्तु HCl का जलीय विलयन अम्ल के सभी गुण प्रदर्शित करते हैं।
अम्ल तथा भस्म से संबंधित आधुनिक विचारधारा-
1. आरहेनियस सिद्धांत:- आरहेनियस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोजन (H+) आयन देता है तथा भस्म वे पदार्थ हैं जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइ आयन (OH-) आयन देता है । 

Note:- H+ आयन जल में स्वतंत्र रूप से नहीं रहता है। यह H2O के साथ मिलकर H3O (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं।

आरहेनियस सिद्धान्त के दोष :
  1. इस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल H+ युक्त यौगिक है, परन्तु कई ऐसे अम्ल हैं (जैसे - AICI3, FeCl3) जिसमें H+ आयन उपस्थित नहीं रहते हैं ।
  2. NH3 में H है परन्तु यह अम्लीय नहीं होता है। NH3 एक भस्म (Base) है।

ब्रॉन्स्टेड-लॉरी सिद्धान्त (Bronsted - Lowry Cocnept)

इस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल वे आयन या अणु है जो प्रोटॉन देने की क्षमता रखता है।
इस सिद्धान्त के अनुसार भस्म (Base) वे पदार्थ है जो प्रोटॉन ग्रहण कर सकता हो।

कुछ ऐसे आयन हैं जो प्रोटॉन प्रदान करने की क्षमता रखते हैं अतः ये आयन भी अम्ल हैं-

आरहेनियस का सिद्धान्त सिर्फ जलीय माध्यम पर लागू होता है परन्तु ब्रॉन्स्टेडलॉरी सिद्धान्त सिर्फ जलीय विलयन तक सिमित नहीं है बल्कि यह गैसीय अवस्था के लिए भी लागू हो सकता है।
ब्रॉन्स्टेड-लॉरी सिद्धान्त भी सभी अम्ल पर लागू नहीं होती है। CO2, SO2, Al3+ का जलीय विलयन अम्लीय होता है परन्तु ये प्रोटॉन देने में सक्षम नहीं है।

लूइस सिद्धान्त (Lewis Theory)

  • लूइस सिद्धान्त अम्ल-भस्म के संबंध में सबसे आधुनिक सिद्धान्त है जो इलेक्ट्रॉन पर आधारित है। यह सिद्धान्त उन अम्लों का सटीक व्याख्या करता है जिस अम्ल का व्याख्या आरहेनियस तथा ब्रान्स्टेड - लॉरी सिद्धान्त नहीं कर पाता है ।
  • लूइस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल वे हैं जो इलेक्ट्रॉन का निर्जन युग्म (lone pair ) ग्रहण कर सकता है।
  • लूइस सिद्धान्त के अनुसार भस्म वे हैं जो इलेक्ट्रॉन का निर्जन युग्म प्रदान करने की क्षमता रखते हों । 
    उदा०-
    1. BF3.NH3 (बोरॉन ट्राई फ्लोराइड अमोनिया) जब बनता है BF3 .NH3 के electron ग्रहण करता है। अतः BF3 लूईस अम्ल है NH3 लूइस भस्म ।
    2. CaO तथा SO3 संयोग करके CaSO4 बनता है जिसमें CaO अम्ल है तथा SO3 भस्म है ।
  • लूइस में भी कुछ कमियाँ हैं। लूइस सिद्धान्त यह बतलाता है कि अम्ल तथा भस्म के बीच जब अभिक्रिया होगा उपसहसंयोजक यौगिक बनेगा परन्तु ऐसा नहीं होता है।

क्षार (Alkali)

कुछ भस्म जल में विलेय होते हैं तथा कुछ अविलेय । जो भस्म जल में विलेय होते हैं उन्हें क्षार कहा जाता है।
  • क्षार बहुत ही तीव्र नाशक होते हैं जो चमड़े तक को जला देते हैं । 
  • NaOH, KOH तथा NH4OH भस्म जल में विलेय है अतः ये क्षार भी कहलाते हैं ।

pH मान

  • किसी विलयन की अम्लीय शक्ति उसमें उपस्थित H+ आयन पर निर्भर करती है । विलयन में H+ आयन सांद्रण के निर्धारण के लिए सोरेंसन ने एक स्केल दिया जिसे PH स्केल कहते हैं।
  • pH symbol में p की उत्पत्ति Potenz से हुई जिसका अर्थ है- शक्ति
  • किसी विलयन के pH का मान उसमें उपस्थित H+ आयन की सांद्रता के लघुगणक (logarithm) का ऋणात्मक मान है।
  • शुद्ध जल में [H+] की सांद्रता 1 × 10-1 होता है और शुद्ध जल का pH मान 7 होता है। 
  • pH स्केल में 0-14 तक की संख्या होती है । उदासीन विलयन का pH मान 7 के बराबर, अम्लीय विलयन की pH 7 से कम तथा क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है ।
  • pH का मान जितना ही कम होगा उसकी अम्लीय उतना ही अधिक होगा।
  • दैनिक जीवन में pH का महत्व

    1. हमारे शरीर का pH मान 70-7.8 तक रहता है। शरीर के pH मान में जरा भी कमी होने से बुखार होने लगता है।
    2. वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम होने पर उसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है।
    3. मिट्टी का pH मान 7 के आसपास रहने पर ही अधिकांस पौधे की वृद्धि संतोषजनक होता है ।
    4. मुँह का pH मान 5.5 से कम होने पर दाँत के इनामेल क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
    Note:- नीम के दातून के रस में भी क्षारीय होता है जिसके कारण नीम के दातून से दाँत की रक्षा होती है।

    प्रमुख विलयन का pH मान :

    1. अमाशय रस - 1.0
    2. नींबू रस - 2.5
    3. सिरका - 3.0
    4. टमाटर रस - 4.1
    5. पसीना - 4.5
    6. पेशाब - 6.0
    7. दूध - 6.5
    8. शुद्ध जल - 7.0
    9. आँसू - 7.3
    10. खून - 7.4
    11. पित्त - 7.5-8.8
    12. चूना जल - 11.0
    13. बैटरी का पानी - 0.5

    लवण (Salt)

    • अम्ल तथा भस्म की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं ।
    • अम्ल तथा भस्म के अभिक्रिया से लवण बनते हैं परन्तु अन्य कई विधि है जिनके द्वारा लवण बनते हैं।

लवणों के प्रकार-

  1. सामान्य लवण - वैसे लवण जिनमें हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सील समूह नहीं रहते हैं। सामान्य लवण कहलाते हैं। 
    उदा०- NaCl, KCI, Na2SO4, Na3PO4 KNO3, CuSO4, NH4CI
  2. अम्लीय लवण - लवण जो किसी भस्म द्वारा किसी अम्ल के अपूर्ण उदासीनीकरण के फलस्वरूप बनते हैं अम्लीय लवण कहलाते हैं। या वैसे लवण जिसमें एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान रहते हैं अम्लीय लवण कहलाते हैं।
    उदा०- NaH2PO4 (सोडियम हाइड्रोजन फॉस्फेट)
  3. भास्मीक लवण - वैसे भस्म जिनके अणु में एक से अधिक हाइड्रॉक्सील समूह होते हैं, भास्मीक लवण कहलाते हैं।
    उदा०- Pb (OH)2, Ba(OH)Cl, Mg (OH)Cl 
  4. मिश्री लवण- वैसे लवण जिसमें एक से अधिक भास्मीक या अम्लीय मूलक (Radicals) उपस्थित हो मिश्रीत लवण कहलाते हैं।
    उदा०- NaKSO4 
    CaOCl2 (विरंजक चूर्ण)
  5. द्विकलवण (Double Salt)- दो सामान्य लवण से निर्मित लवण को द्विक लवण कहते हैं।
    FeSO4 (NH4)2 SO4.6H2O (मोहर लवण )
    K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O (फीटकरी)
  6. जटिल लवण - वैसा लवण जिसमें एक जटिल मूलक उपस्थित रहता है और जो विलयन में भी अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखते हैं जटिल लवण कहलाते हैं।
    उदा०- K4 [Fe(CN)6] - पोटाशियम फेरोसायनाइड
              K2 [Fig I4]      - पोटाशियम मरक्यूरिक आयोडाइड 
             [Ag(NH3)2] Cl - डाइ एमिनो सिल्वर क्लोराइड
लवणों के गुण :
  1. जब प्रबल अम्ल तथा प्रबल भस्म आपस में अभिक्रिया करते हैं तो उदासीन लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 होता है । 
    उदा०- KCI, NaCl, KNO3, Na2SO4 
  2. प्रबल अम्ल तथा दुर्बल भस्म के अभिक्रिया से अम्लीय लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 से कम होता है ।
    उदा०- NH4Cl, FeCl3, CuSO4, AlCl3
  3. दुर्बल अम्ल तथा प्रबल भस्म के अभिक्रिया से भास्मीक लवण या क्षारीय लवण बनते हैं जिसका pH मान 7 से अधिक होता है।
    उदा०- Na2CO3, NaHCO3, CH3COONa, NaCN
  4. लवणों का पसीजना (eliquescent of Salt)- लवणों को खुली हवा में छोड़ने से उनके द्वारा जलवाष्प के अवशोषण के फलस्वरूप द्रव रूप में परिवर्तित होने के गुण को पसीजना कहते हैं। औसे ऐसे लवण प्रस्ववेष लवण (Deliquesent Salt) कहलाता है।
    उदा०- अर्नाद्र CaCl2
बफर विलयन
वह विलयन जिसमें सबल अम्ल (Strong Acid ) या सबल भस्म (Strong base) की थोड़ी मात्रा मिलाने पर विलयन के pH मान में परिवर्तन नहीं होता है बफर विलयन कहलाता है। 
  • बफर विलयन दो प्रकार के होते हैं-
    1. अम्लीय बफर
      उदा०- एसीटिक अम्ल तथा सोडियम ऐसीटेट का विलयन
    2. क्षारीय बफर
      उदा० - अमोनियम हाइड्रॉक्साइड तथा अमोनियम क्लोराइड का विलयन
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