भारत की सिंचाई एवं नहरें

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- सिंचाई : कृत्रिम तरीका से फसलों को नहर, नलकूप या अन्य माध्यमों से जल पहुँचाना ही सिंचाई कहलाता है। भारत में सिंचाई का सबसे प्रमुख साधन कुआँ एवं नलकूप हैं। वही सिंचाई का दूसरा प्रमुख साधन नहर है। वही दक्षिण भारत में सिंचाई का सबसे प्रमुख साधन तालाब है। दक्षिण भारत में तालाब से सबसे ज्यादा खेती तमिलनाडु राज्य में किया जाता है। उत्तर भारत - नलकूप ।
- भारत सरकार ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत की प्रथम राष्ट्रीय जल नीति की घोषणा 1987 ई० में किया है। इस जल नीति में पहली बार संशोधन 2002 ई० में तथा दूसरी बार संशोधन 2012 ई० में किया गया।
- राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् का गठन 1983 ई० में किया गया। इस संगठन के पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
- भारत में सिंचाई परियोजना को तीन वर्गों में विभाजित किया गया हैं-
- वृहद या वृहतम सिंचाई परियोजना : वैसी सिंचाई परियोजना जिसमें 10,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि शामिल हो वृहतम सिंचाई परियोजना कहलाता है। इसके अंतर्गत बहुउद्देशीय परियोजना को रखा जाता है।
- मध्यम सिंचाई परियोजना : वैसी सिंचाई परियोजना जिसके अंतर्गत 3. हेक्टेयर से 10,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि शामिल हो, मध्यम सिंचाई परियोजना कहलाता है। इसके अंतर्गत नहर को रखा जाता है।
- लघु सिंचाई परियोजना : वैसी सिंचाई परियोजना जिसके अंतर्गत 2,000 हैक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि शामिल हो, लघु सिंचाई परियोजना कहलाता है। इसके अंतर्गत कुआँ, नलकूप, तालाब इत्यादि आते हैं।
- Note : 1. भारत में सबसे अधिक सिंचाई लघु सिंचाई परियोजना ( 63%) के तहत किया जाता है।2. विश्व में सबसे ज्यादा सिंचित भूमि चीन में है, वही भारत का स्थान दूसरा है।
- ड्रिप सिंचाई : सिंचाई की वैसी तकनीक जिसमें पौधों के जड़ में बूंद-बूंद पानी टपका कर सिंचाई किए जाते हैं उसे ही ड्रिप सिंचाई कहते हैं। ड्रिप सिंचाई का जन्मदाता देश इजराइल है।
- फर्टिगेशन सिंचाई : सिंचाई की वैसी तकनीक जिसमें जल के साथ घुलनशील उर्वरक भी पौधों तक पहुँचाया जाता है उसे ही फर्टिगेशन सिंचाई कहते हैं। 2. इस सिचाई का जन्मदाता दश इजराइल माना जाता है।