कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति | कार्य शक्ति एवं ऊर्जा की परिभाषा

कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति | कार्य शक्ति एवं ऊर्जा की परिभाषा


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कार्य (Work )

बल और बल की दिशा में तय की गई दूरी के गुणनफल को बल के द्वारा किया गया कार्य कहा जाता है।
  • कार्य = बल x बल के दिशा में तय की गई दूरी [W = FS]
  • कार्य तभी सम्पन्न होता है जब किसी वस्तु पर बल लगे और वह वस्तु विस्थापित हो I
  • कार्य हमेशा बल के द्वारा सम्पन्न होता है, किसी वस्तु के द्वारा नहीं।
  • कार्य अदिश राशि है। इसका SI मात्रक न्यूनटन-मीटर (Nm) है। Nm को ब्रिटेन के वैज्ञानिक-जेम्स जूल के सम्मान में जूल भी कहते हैं।
             1J = 1 Nm
  • एक जूल (1J) कार्य की वह मात्रा है जो एक न्यूटन के बल द्वारा किसी वस्तु को बल की दिशा में 1 m की दूरी विस्थापित होने पर किया जाता है।
  • अनेक स्थितियों में वस्तु की गति उस पर आरोपित बल की दिशा में एक कोण पर होता है। ऐसी स्थिति में कार्य का मापन W = FS सूत्र द्वारा नहीं किया जाता है क्योंकि चली गई दूरी ( S), लगाये गये बल की सही-सही दिशा में नहीं होती है।
  • अगर वस्तु के गति की दिशा और लगाये गये बल की दिशा के बीच Q कोण बनता हो तब कार्य (W) = F cos θ × S
शून्य कार्य (Zero work)
  • बल यदि वस्तु के गति के दिशा से समकोण पर कार्य करता है तो गति की दिशा और बल की दिशा के बीच कोण 90° होता है । इस स्थिति में किया गया कार्य-
    W  = Fcos θ x S
         = F cos 90° x S
  • बल की दिशा एवं वस्तु के गति के दिशा के बीच 90° का कोण बने तो किया गया कार्य शून्य होगा ।
  • शून्य कार्य के उदाहरण-
    1. व्यक्ति अगर क्षैतिज दिशा में कुछ दूरी तक सूटकेस ढोता है तो उनके द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा ।
    2. वृत्तीय मार्ग में गतिमान वस्तु पर किया गया कार्य भी शून्य होता है । 
    3. सूर्य की परिक्रमा करती हुई पृथ्वी की स्थिति में किया गया कार्य शून्य होता है और पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए आग्रह की स्थिति में भी किया गया कार्य शून्य होता है। ?
ऋणात्मक कार्य (Negativ Work)
  • बल, यदि वस्तु की गति की दिशा के विपरित कार्य करता है तो गति की दिशा और बल की दिशा के बीच 180° का कोण बनता है । ऐसी स्थिति में किया गया कार्य-
    W = F cos θ x S
    = F cos 180° x S
    = - FS
  • बल की दिशा एवं वस्तु की गति की दिशा के बीच 180° का कोण बने तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है I
    उदा.-
    1. घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है ।
    2. किसी वस्तु को अलग सीधे उपर फेंका जाए तो पृथ्वी के गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है ।
NOTE:- 
  1. किया गया कार्य धनात्मक होता है जब बल वस्तु के गति के दिशा में काम करता है।
  2. किया गया कार्य ऋणात्मक होता है जब बल वस्तु के गति के दिशा के विपरित कार्य करता है ।
  3. किया गया कार्य शून्य होता है जब बल वस्तु के गति की दिशा से समकोण पर कार्य करता है ।
ऊर्जा (Energy) :
  • कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं I
  • ऊर्जा का SI मात्रक वही होता है जो कार्य का SI मात्रक है। यानि ऊर्जा का SI मात्रक भी जूल (J) है । 
  • कार्य की तरह ऊर्जा भी अदिश राशि है ।
  • किसी वस्तु को अपनी गति के कारण जो ऊर्जा होती है उसे Kinetic Energy (गतिज ऊर्जा) कहते हैं। किसी वस्तु को उस की स्थिति या आकृति के कारण जो ऊर्जा होती है उसे Potential Energy ( स्थितिज ऊर्जा) कहते हैं।
  • गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा के योग को Mechanical Energy (यांत्रिक ऊर्जा) कहते हैं ।
  • गतिज ऊर्जा (Ek) = ½mv2
    m = वस्तु का द्रव्यमान
    v = वस्तु के वेग
  • गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्मान तथा उसकी चाल के धर्म का समानुपाती होता है। यदि वस्तु का द्रव्यमान दुगुणा कर दे तो गतिज ऊर्जा भी दुगुणी होंगी लेकिन उसकी चाल समान होनी चाहिए।
  • यदि वस्तु की चाल दुगुणी जाए गतिवा ऊर्जा, चौगुणी हो जाएगी।
  • गतिज ऊर्जा के उदाहरण-
    1. बंदूक से छोड़ी गई गोली
    2. धनुष से छोड़ा गया तीर
    3. गतिमान हथौड़ा
    4. गिरती वर्षा का बूँद
    5. बहती हवा
    6. नाचना लट्टू
    7. जल विद्युत शक्ति स्टेशन पर गिरती जल के गतिज ऊर्जा का इस्तेमाल विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है।
स्थितिज ऊर्जा (EP)
अगर m द्रव्यमान की वस्तु पृथ्वी तल से h ऊँचाई तक उठाया गया है तो वस्तु पर पृथ्वी का गुरूत्व बल mg नीचे की ओर लगता है । अतः गुरुत्व बल के विरूद्ध किया गया कार्य
W = बल x दूरी
    = mg x h
    = mgh
यह कार्य वस्तु और पृथ्वी के निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है अतः
स्थितिज ऊर्जा (EP) = mgh 
  • EP को गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा भी कहा जाता है। 
  • किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा उस वस्तु के ऊँचाई और उसके द्रव्यमान पर निर्भर करती है।
  • स्थितिज ऊर्जा के उदाहरण-
    1. पहाड़ी पर स्थित जलाशय के पानी में स्थितिज ऊर्जा होती है।
    2. मकान के छत पर रखी ईट
    3. लपेटी हुई कमानी
    4. धनुष की तनी हुई डोरी
    5. गुलेल में खींची हुई रबड़ पट्टी की स्थितिज ऊर्जा का इस्तेमाल पत्थर फेंकने में किया जाता है।
गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा
  1. गतिज ऊर्जा गति के कारण कार्य करने की क्षमता है, जबकि स्थितिज ऊर्जा संरूपण के कारण कार्य करने की क्षमता है।
  2. स्थितिज ऊर्जा गुप्त रूप में संचित ऊर्जा है, जबकि गतिज ऊर्जा संचित ऊर्जा नहीं है ।
  3. स्थितिज ऊर्जा आपेक्षिक है, जबकि गतिज ऊर्जा आपेक्षिक नहीं है।
ऊर्जा का रूपांतरण
ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में बदली जा सकती है, इसके उदाहरण निम्न हैं:-
  1. माचिस की तीली जलता है तो रसायनिक ऊर्जा का रूपांतरण प्रकाश एवं उष्मा ऊर्जा में होता है ।
  2. Termo-couple (ताप - वैद्युत युग्म) में उष्मा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में होता है ।
  3. विद्युत-चुंबक में विद्युतीय ऊर्जा का रूपांतरण चुबंकीय ऊर्जा में होता है ।
  4. टेलीफोन अथवा विद्युत - घंटी में विद्युतीय ऊर्जा का रूपांतरण ध्वनि-ऊर्जा में होता है ।
  5. डायनेमो अथवा टरबाइन में यांत्रिक ऊर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में होता है।
  6. विद्युत पंखा में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण यांत्रिक ऊर्जा में होता हैं।
  7. विद्युत के बल्व में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण प्रकाश एवं उष्मा ऊर्जा में होता है।
  8. बिजली के हीटर में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण उष्मा ऊर्जा में होता है।
  9. संचायक सेल में रसायनिक ऊर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में होता है।
  10. Electrolysis में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण रसायनिक ऊर्जा में होता है।
  11. ईधन के जलने पर रसायनिक ऊर्जा का रूपांतरण उष्मा ऊर्जा में होता है।
  12. फोटोग्राफी प्लेट पर प्रकाश की रसायनिक प्रतिक्रिया में प्रकाश का रूपांतरण रसायनिक ऊर्जा में होता है।
  13. श्वेत तप्त धातु के पिंड में उष्मा का रूपांतरण प्रकाश में होता है ।
  14. भाप इंजन में उष्मा का रूपांतरण गतिज ऊर्जा में होता है ।
  15. घूमते हुए पहिए में ब्रेक लगाने पर गतिज ऊर्जा का रूपांतरण उष्मा ऊर्जा में होता है।
  16. गुरूत्व के अधीन गिरती हुई वस्तु का स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपांतरित होती है ।
  17. किसी वस्तु को फेंकने पर पेशीय ऊर्जा का रूपांतरण गतिज ऊर्जा में होता है।
  18. पृथ्वी पर से कोई वस्तु को उठाने पर पेशीय ऊर्जा का रूपांतरण स्थितिज ऊर्जा में होता है ।
  19. रेडियो में विद्युत ऊर्जा का रूपांतर ध्वनि ऊर्जा में होता है।
  20. सौर सेल (Solar Cell) प्रकाश ऊर्जा का रूपांतर वैद्युत ऊर्जा में करता है ।
  21. सौर जल ऊष्मक (Solar Water Heater) प्रकाश ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में रूपांतरित करता है ।
  22. गैस स्टोव, कुकिंग गैस (LPG) के रसायनिक ऊर्जा में रूपांतरित करता है I
शक्ति (Power)
प्रति इकाई समय में किये गये कार्य को शक्ति कहते हैं अर्थात् शक्ति कार्य करने की दर है ।


ऊर्जा और शक्ति में अंतर
  1. ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है जबकि शक्ति कार्य करने की समय-दर है ।
  2. ऊर्जा कार्य सम्पन्न में लगे समय पर निर्भर नहीं करता है।
  3. ऊर्जा का SI मात्रक जूल है जबकि शक्ति का SI मात्रक वाट है।
औसत शक्ति (Average Power) :
  • द्रव्यमान ऊर्जा संबंध
    आइंस स्टाइन के अनुसार द्रव्यमान का ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है।
    अगर m द्रव्यमान पूर्ण रूप से ऊर्जा में परिणत हो जाए तो परिवर्तित ऊर्जा (E)-
    E = mc2
    C = निर्वात में प्रकाश की चाल
    इस सूत्र के अनुसार अगर | gram द्रव्यमान ऊर्जा में परिणत होता है तो कुल 9 x 1013] ऊर्जा उत्पन्न होगी।
 ऊर्जा - संरक्षण के सिद्धान्त :
  • ऊर्जा संरक्षण नियम यह बताता है कि ऊर्जा को न तो उत्पन्न की जा सकती है न ही नष्ट, किंतु ऊर्जा का एक रूप से रूपांतरण हो सकता है I
  • गुरुत्व के अधीन मुक्त में रूप में गिर रही वस्तु ऊर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है ।
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