घर्षण बल किसे कहते हैं | घर्षण क्या है

घर्षण बल किसे कहते हैं | घर्षण क्या है 


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घर्षण (Friction)
जब कभी कोई वस्तु किसी दूसरी सतह पर सरकती है या लुढ़कती है या चलने की चेष्टा करती है तो स्पर्श में आने वाली सतह के बीच एक बल लगता है जो वस्तु के गति का विरोध करता है। यही विरोधी बल घर्षण बल कहलाता है।
  • घर्षण एक प्रकार का बल है जो हमेशा गति के विपरित दिशा में कार्य करता है। 
  • घर्षण बल सतह के खुरदरेपन पर निर्भर करता है जो सतह जितना खुरदुरी होगी उसमें उतना अधिक घर्षण होगा। ऐसा कोई सतह नहीं है जो पूर्णत: घर्षण रहित हो।
घर्षण की उत्पत्ति
  • ऐसा माना जाता है कि घर्षण की उत्पत्ति आणविक बलों के कारण होता है। जब दो सतह एक-दूसरे के संपर्क में आता है तो दोनों सतह के अणुओं के बीच आकर्षण बल लगाता है जिसके कारण दोनों सतह आपस में चिपक जाते हैं। जब एक वस्तु दूसरे पर सस्कती है तो बल लगाना आवश्यक हो जाता है क्योंकि दोनों सतह आणविक आकर्षण के कारण चिपका रहता है। अतः घर्षण एक प्रकार का आणविक आकर्षण है।
सर्पी घर्षण (Sliding Friction )
  • जब कोई वस्तु किसी सतह पर खिसकने की रहती है, तो उस स्थिति में गति के दिशा के विपरित जो घर्षण बल लगता है उसे सर्पी घर्षण कहते हैं।
लोटनीक घर्षण

जब वस्तु की गति लुढ़ककर या लोटन करके होती है तो उस स्थिति में गति की दिशा के विपरित जो घर्षण बल लगता है उसे लोटनीक घर्षण कहते हैं।


XY सतह पर M एक वस्तु है। M वस्तु पर उसका भार W नीचे की ओर लगता है तथा संपर्क सतह XY की प्रतिक्रिया R ऊपर की ओर लगता है। R तथा W एक दूसरे के बराबर और विपरित दिशा में लगता है जिसके कारण वस्तु संतुलन के अवस्था में है।

  • स्थिर घर्षण (Static Friction) : जब M वस्तु पर P बल लगता है तो वस्तु खिसकता नहीं है क्योंकि P के विपरित दिशा में एक घर्षण बल F लगता है। इसी घर्षण बल को स्थिर घर्षण कहते हैं।
  • सीमांत घर्षण (Limiting Friction) : अगर M वस्तु पर लगने वाले बल P का मान बढ़ाते हैं तो एक समय ऐसा आता है कि वस्तु खिसकने - खिसकने को हो जाता है। ऐसी स्थिति में P का मान विपरित दिशा में लगने वाले बल F के बराबर हो जाता है। F के इसी महत्तम मान को सीमांत घर्षण कहते हैं।
  • गतिज घर्षण (Dynamic or Kinetic Friction) : सीमांत घर्षण के बराबर बल लगाने बल पर वस्तु खिसकने - खिसकने को हो जाता है। अब वस्तु को गति में लाने हेतु सीमांत घर्षण के मान से कम मान के बल की आवश्यकता होती है । घर्षण बल के इस मान को गतिज घर्षण कहते हैं।
Note :- गतिज घर्षण का मान सीमांत घर्षण से कम होता है।

घर्षण के नियम :

  1. घर्षण बल की दिशा हमेशा वस्तु को चलाने वाले बल के विपरित होती है।
  2. किन्हीं दो सतहों के बीच घर्षण बल का मान वस्तु पर सतह की अभिलंब प्रतिक्रिया के मान के समानुपाती होता है। 
                 F ∝ R


    μ एक प्रकार का नियतांक है जिसे घर्षण गुणांक कहते हैं।
  3. घर्षण गुणांक (μ) का मान सतह के प्रकृति पर निर्भर करता है।
  4. यदि सतहों के बीच लगने वाले अभिलंब प्रतिक्रिया बल स्थिर हो, तो घर्षण बल संस्पर्श सतह के आकार या क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं 'करता है।
घर्षण गुणांक (Coefficient of Friction )
दो सतहों के बीच सीमांत घर्षण बल (F) का मान उनके बीच अभिलंब प्रतिक्रिया (R) के मान के समानुपाती होता है-
        F ∝ R
        F = μR
μ को घर्षण गुणांक या सीमांत घर्षण गुणांक कहते हैं ।
  • अगर दो सतहों के बीच गतिज घर्षण Fk हो तो गतिज घर्षण गुणांक = μk = Fk/Rहोगा ।
  • सीमांत घर्षण गुणांक का मान गति घर्षण गुणांक के मान से अधिक होता है क्योंकि सीमांत घर्षण का मान गतिज घर्षण के मान से अधिक होता है।
  • सीमांत घर्षण गुणांक तथा गतिज घर्षण गुणांक दोनों को मान सामान्यतः 1 से कम होता है ।
  • घर्षण गुणांक का कोई मात्रक या बीमा नहीं होती है क्योंकि घर्षण गुणांक एक ही प्रकार के राशि का अनुपात है।
घर्षण कोण (Angle of Friction)

दो सतहों के बीच के सीमांत घर्षण F और अभिलंब प्रतिक्रिया R के संयोजन से परिणामी प्रतिक्रिया R' प्राप्त होता है। R' तथा R के बीच λ कोण बनता है। इसी कोण को घर्षण कोण कहते हैं ।


विराम कोण (Angle of Repose)

आनत सतह (Inclined plane) पर स्थित वस्तु का वह अधिकतम कोण जिस पर वस्तु संतुलित अवस्था में रहता है तथा कोण का मान बढ़ाने पर वस्तु आनत तल पर गति करने लगता है, विराम कोण कहलाता है ।
M द्रव्यमान की वस्तु आनत तल पर है तथा विराम कोण θ के बराबर है। इस स्थिति वस्तु का भार W ठीक नीचे की ओर लगता है | W का एक घटक W cosθ AB के लम्बवत है जो अभिलम्ब प्रतिक्रिया R को संतुलित करता है। W का दूसरा घटक Wsine है जो वस्तु को खिसकाने की चेष्टा करता है तथा सीमांत घर्षण बल के द्वारा संतुलित होता है।
घर्षण कोण की परिभाषा से μ = tanλ तथा विराम कोण की परिभाषा से μ = tanθ
     अतः tanλ = tanθ
      या        λ = θ
अतः सीमांत संतुलन की स्थिति में घर्षण कोण तथा विराम कोण का मान बराबर होता है-
अगर-
  1. θ = λ तो वस्तु संतुलन की स्थिति में होगी ।
  2. θ = λ तो वस्तु चरम घर्षण की स्थिति में होगी ।
  3. θ > λ तो वस्तु को त्वरित गति होगी ।
तरल घर्षण (Fluid Friction)
जब कोई वस्तु किसी तरल (गैस या द्रव) में गतिशील रहता है तो वह सामने के तरल को बगल में विस्थापित कर देता है। तरल का कुछ भाग वस्तु को आगे बढ़ाता है। इससे तरल को तो गति प्राप्त होता है परन्तु वस्तु की गतिज ऊर्जा घट जाती है। ऊर्जा की यह कमी वस्तु पर अवरोधक बल उत्पन्न करता है। यह बल तरल घर्षण कहलाता है।
  • तरल घर्षण वस्तु के आकार तथा Shape पर निर्भर करता है। अधिक अनुप्रस्थ काट (Area of Cross Section) वाले वस्तु पर तरल घर्षण अधिक होता है। धारा रेखीय रूप ( Stream line shape) वाले पिण्ड पर तरल घर्षण कम होता है।
  • तरल घर्षण तरल के घनत्व पर भी निर्भर करता है पानी के अपेक्षा हवा में घर्षण कम होता है।
  • वस्तु का वेग भी तरल घर्षण को प्रभावित करता है। कम वेग होने पर घर्षण बल वेग के समानुपाती होता है। अधिक वेग पर घर्षण वेग के वर्ग के समानुपाती होता है। जब वेग ध्वनि के वेग के बराबर हो तो घर्षण वेग के घन के समानुपाती होता है ।
घर्षण कम करने के उपाय-
  1. रूखड़ी सतह को चिकना करके घर्षण को कम किया जा सकता है ।
  2. रूखड़े सतहों के बीच ग्रीज या तेल डालने से घर्षण बहुत कम हो जाता है। इस क्रिया को स्नेहन (Lubrication) कहते हैं।
  3. सतहों पर ऑक्साइड के परत बना देने पर घर्षण का मान कम हो जाता है।
  4. महीन पाउडर डालने से सम्पर्क सतहों के बीच घर्षण घट जाता है ।
  5. गाड़ी के पहिए में घर्षण घटाने हेतु वॉल वेयरिंग का उपयोग होता है।
  6. मोटरगाड़ी, विमान का आकार धारा रेखीय बनाया जाता है ताकि वायुघर्षण कम हो।
  7. घर्षण कम करने हेतु ग्रेफाइट या काला शीशा का भी इस्तेमाल होता है। 
दैनिक जीवन में घर्षण का महत्व
  1. घर्षण न हो तो हम न तो खड़े हो सकते हैं न ही किसी वस्तु को पकड़ सकते हैं। 
  2. घर्षण के कारण ही हम पृथ्वी पर चल सकते हैं ।
  3. घर्षण के बिना इंजन गाड़ी को नहीं खींच पाता।
  4. घर्षण से लाभ तथा हानि दोनों है। इस कारण घर्षण को आवश्यक दोष माना जाता है।
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